व्रत रखकर सुराही, पंखा व खरबूजा करते दान

जागरण संवाददाता फतेहपुर व्यवसायिक शिक्षक संगठन की कमान लगातार तीसरी बार जिलाध्यक्ष के रूप में शिक्षकों ने प्रशांत शुक्ला को सौंपी है। कोरोना वायरस के संकट और लॉकडाउन के चलते प्रदेश अध्यक्ष संजीव यादव और महामंत्री आलोक शुक्ला के निर्देश पर ऑनलाइन चुनावी प्रक्रिया आयोजित की गई। आयोजित प्रक्रिया में अध्यक्ष पद के लिए किसी ने दावा नहीं ठोका तो शिक्षकों ने समर्थन दिया। जिस पर जिलाध्यक्ष की कुर्सी पर शिक्षक श्री शुक्ला का चयन हुआ तो लोगों ने उन्हें बधाई दीं। शिक्षक विधायक सुरेश कुमार त्रिपाठी ने बधाई दी और शिक्षक हित को सर्वोपरि मानते हुए संघर्ष करने की सीख दी। माध्यमिक शिक्षक संघ के जिलाध्यक्ष आलोक शुक्ला ने शुभकामनाएं देते हुए व्यवसायिक संगठन को भरपूर मदद करने का वादा किया।

By JagranEdited By: Publish:Sun, 31 May 2020 09:29 PM (IST) Updated:Sun, 31 May 2020 09:29 PM (IST)
व्रत रखकर सुराही, पंखा व खरबूजा करते दान
व्रत रखकर सुराही, पंखा व खरबूजा करते दान

जागरण संवाददाता, फतेहपुर : उमसभरी गर्मी में बिना पानी पिए दिन भर का उपवास रखकर भगवान विष्णु को प्रसन्न करने के लिए निर्जल एकादशी व्रत का विशेष महत्व माना जाता है। इस कठिन व्रत को रखने के लिए एक दिन पहले से ही तैयारी शुरू हो जाती है। व्रत रखने के साथ लोग पानी से भरी सुराही, खजूर के बने पंखे, खरबूजा, तरबूज आदि फलों का दान करते है। कोरोना संक्रमण के दौरान यह व्रत यह सीख देने वाला भी है कि लोग बीमारी से बचने के लिए मिट्टी के घड़े के पानी का उपयोग करें। हर जरूरतमंद को गर्मी से राहत देने के लिए पंखा व फल उपयोगी साबित हो। शुभ मुहूर्त

आचार्य दुर्गादत्त शास्त्री कहते हैं कि निर्जला एकादशी का व्रत मनोवांछित कामनाओं को पूरा करने वाला होता है। व्रती बिना जल जल पिए व्रत रखते हैं और आराधना करते हैं। वैदिक अनुष्ठान और रीति रिवाज के अनुसार पूजन करते हैं। पंचांग के अनुसार सोमवार को दोपहर 2 बजकर 57 मिटन से एकादशी आरंभ हो रही है और मंगलवार को 12 बजकर 04 मिनट पर समाप्त होगी। इसलिए व्रती इस दिन भगवान श्रीहरि की पूजा दोपहर 12 बजकर 4 मिनट से पहले पूरी कर लें। व्रत के परायण में जरूरतमंदों पानी से भरा घड़ा, खरबूजा व पंखा दान करने से पुण्य का लाभ मिलता है।

एकादशी की पूजन विधि

व्रत को गंगा दशहरा के दिन से तामसी भोजन जिसमें लहसुन और प्याज मुक्त भोजन का त्याग कर देना चाहिए। रात में भूमि पर शयन करें और अगले दिन ब्रह्मा मुहूर्त में उठकर सबसे पहले भगवान का स्मरण करें। इसके पश्चात नित्य कर्मों से निवृत्त होकर गंगाजल युक्त पानी से स्नान करें। अब आचमन करके व्रत का संकल्प लें और फिर पीले वस्त्र पहनें। इसके बाद सूर्य देव को अघर्य दें। दिन में आराधना करने के साथ ही यथा संभव और कुटुंब की मान्यता के अनुसार दान-दक्षिणा करें।

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