120 स्थलों नहीं पहुंची एंबुलेंस सेवा, कराहते रहे मरीज

जागरण संवाददाता फतेहपुर सरकारी एंबुलेंस सेवा दूसरे दिन भी ठप रही। जगह-जगह से सुविधा

By JagranEdited By: Publish:Tue, 27 Jul 2021 06:33 PM (IST) Updated:Tue, 27 Jul 2021 06:33 PM (IST)
120 स्थलों नहीं पहुंची एंबुलेंस सेवा, कराहते रहे मरीज
120 स्थलों नहीं पहुंची एंबुलेंस सेवा, कराहते रहे मरीज

जागरण संवाददाता, फतेहपुर: सरकारी एंबुलेंस सेवा दूसरे दिन भी ठप रही। जगह-जगह से सुविधा के लिए लोगों ने फोन किए लेकिन 120 स्थल ऐसे हैं, जहां एंबुलेंस सेवा नहीं पहुंच पाई। नतीजा कि मरीज साइकिल, मोटरसाइकिल, ई- रिक्शा और निजी वाहनों से लादकर अस्पताल पहुंचाए गए। कराहते मरीजों से अस्पतालों की इमरजेंसी गूंज उठी। जिला अस्पताल की इमरजेंसी से तीन मरीजों को रेफर किया गया, लेकिन एंबुलेंस सुविधा नहीं मिली तो तीमारदारों मरीजों को निजी एंबुलेंस से ले गए।

प्रदेश भर में 108, 102 और एएलएस (एडवांस लाइफ सपोर्ट) एंबुलेंस का संचालन जीवीके कंपनी द्वारा किया जा रहा है। इसी कंपनी ने चालक और इमरजेंसी मेडिकल टेक्नीशियन भी भर्ती कर रखे हैं। बीते दिनों उक्त संस्था का ठेका खत्म हो गया। नई संस्था जिगित्सा ने नए कर्मचारी भर्ती किए हैं, जिसको लेकर विरोध हो रहा है। इस विरोध प्रदर्शन में सर्वाधिक दिक्कत बीमारों को उठानी पड़ रही है। सरकारी सेवा होने पर एंबुलेंस गांव व गली तक में घुसकर मरीज उठाकर अस्पताल पहुंचाती थी, लेकिन दो दिन से यह काम ठप है। जीवनदायनी संगठन के बैनर तले कर्मचारी स्पोर्ट स्टेडियम में हड़ताल पर बैठे हैं और वाहनों को भी खड़ा कर रखा है। संगठन के जिलाध्यक्ष अवनीश पांडेय का कहना है कि हड़ताल प्रदेशव्यापी है, जब तक मांगे पूरी नहीं होगी हड़ताल जारी रहेगी।

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दृश्य एक

तीन किलोमीटर साइकिल में लाए मरीज

असोथर थानाक्षेत्र के सांवल का डेरा मजरे जरौली में संतोष निषाद की तबियत बिगड़ गई। परिवार के राम किशोर बार-बार एंबुलेंस की गुहार लगाते रहे लेकिन सेवा नहीं मिली। फिर क्या था परिवारी जन संतोष को साइकिल में लादकर किसी तरह अस्पताल पहुंचे। तीन किलो मीटर का सफर चार लोगों ने साइकिल से पूरा किया। एक व्यक्ति साइकिल खींच रहा था तो दो लोग मरीज को पीछे से पकड़कर चल रहे थे। दोपहर बाद जब संतोष असोथर अस्पताल में भर्ती हो गए तो राहत मिली।

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दृश्य दो

ई-रिक्शा से अस्पताल पहुंची कौशल्या

सेनीपुर गांव की कौशल्या की तबियत रात में बिगड़ गई थी। स्वजन पूरी रात एंबुलेंस का इंतजार करते रहे। जब एंबुलेंस सेवा नहीं मिली तो पुत्र विमल ने गांव के ही संजय के ई-रिक्शा को अस्पताल तक चलने के लिए तैयार किया। 200 रुपये भाड़े पर ई-रिक्शा चालक ने कौशल्या को अस्पताल पहुंचाया। इस दौरान महिला को भारी दिक्कत हुई, लेकिन उपचार तभी मिल सका जब वह इमरजेंसी पहुंच गई। उपचार शुरू होने पर स्वजनों ने राहत की सांस ली।

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दृश्य तीन

बोलेरो से पहुंची राजरानी, 800 देना पड़ा भाड़ा

मलांव गांव की राजरानी की तबियत खराब थी। उल्टी, पेटदर्द से जब वह बेदम हो गई तो स्वजनों ने इन्हें अस्पताल भर्ती कराने का निर्णय लिया। पहले तो तीन घंटे तक एंबुलेंस का इंतजार हुआ, लेकिन जब एंबुलेंस नहीं पहुंची तो परिवार के दिलीप कुमार ने किराये की बुलेरो गाड़ी बुलाई और मरीज को अस्पताल भेजवाया। यह बात अलग है कि उपचार की सुविधा के लिए अस्पताल तक पहुंचाने के लिए इन्हें 600 रुपये भाड़ा देना पड़ा।

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मात्र 14 जगह पहुंच पाई सेवा

-एंबुलेंस सेवा के प्रभारी अंकित दुबे के अनुसार मंगलवार को कुल 134 काल एंबुलेंस सेवा के लिए प्राप्त हुई है, जिनमें 14 जगहों पर इमरजेंसी सेवा के रूप में एंबुलेंस सेवा दी गई है, जबकि हड़ताल के कारण 120 कालों पर सेवा नहीं पहुंचाई जा सकी है। इसकी सूचना प्रदेश कार्यालय को दी गई है।

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