आनलाइन पढ़ाई से दूर 90 फीसद छात्र-छात्राएं
जागरण संवाददाता फतेहपुर कोरोना संकट के चलते बेपटरी हुई पठन पाठन व्यवस्था को आनलाइन
जागरण संवाददाता, फतेहपुर :कोरोना संकट के चलते बेपटरी हुई पठन पाठन व्यवस्था को आनलाइन से संवारने का विकल्प अपनाया है। तमाम प्रयास भी किए जा रहे हैं लेकिन बेपटरी पढ़ाई सुधरने का नाम नहीं ले रही है। राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण (एनसीपीसीआर) ने सरकारी और गैर सरकारी स्कूलों में आन लाइन पढ़ाई का सर्वेक्षण किया है। सर्वेक्षण में चौकाने वाले तथ्य उजागर हुए हैं। नवीनतम पढ़ाई में 89.9 प्रतिशत बच्चे अछूते हैं जबकि 10.1 प्रतिशत बच्चे ही एंड्रायड फोन के जरिए आनलाइन पढ़ाई कर रहे हैं। जबकि विभागीय दावे किए जाते रहे हैं कि 70 से 80 फीसद आनलाइन पढ़ाई हो रही है।
दो साल से चल रहे कोरोना संकट के बीच सीधे कक्षाओं का पठन पाठन प्रभावित हो रहा था। ऐसे में दिसंबर 2020 से आन लाइन पढ़ाई वाट्सएप के जरिए शुरू करवाई गई थी। प्री प्राइमरी से लेकर उच्च शिक्षण संस्थानों में आनलाइन पढ़ाई को विकल्प बनाया गया है। खर्चीले विकल्प में यह पढ़ाई फिट नहीं हो पा रही है। हाल ही में राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण ने सर्वे कराया है। जिसमें शासन की यह व्यवस्था औंधे मुंह गिरी पड़ी है। जानकारों की मानें तो निजी शिक्षण संस्थानों में पढ़ने वाले बच्चों के अभिभावक सक्षम होते हैं। इनके अभिभावकों के द्वारा एंड्रायड फोन और डाटा सर्वर उपलब्ध हो जाता है। इसके बावजूद स्थिति बेहतर नहीं हो सकी है। वहीं सरकारी स्कूलों में इसकी दशा विपरीत है। सरकारी स्कूलों में आनलाइन व्यवस्था पटरी से उतरी हुई है। कारण कि बच्चों के हाथ में न तो एंड्रायड फोन है और न ही अभिभावक डाटा का खर्चा उपलब्ध करा रहे हैं।
डीआइओएस महेंद्र प्रताप सिंह ने बताया कि आनलाइन पढ़ाई को बच्चों तक पहुंचाने के प्रयास हो रहे हैं। आर्थिक रूप से कमजोर परिवारों के द्वारा मोबाइल और डाटा न उपलब्ध करा पाने की दशा में मुहल्ला क्लास संचालित किए जा रहे हैं। इसके साथ ही स्वयं प्रभा चैनल पर पढ़ाई करवाई जा रही है। संस्था के द्वारा कराया गया सर्वेक्षण चौकाने वाला है।
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विद्यार्थियों की संख्या एक नजर में
- बेसिक शिक्षा : 2,75,765
- मध्यमिक शिक्षा : 3,25,876
- उच्च शिक्षा : 1,50,234