नवरात्र में उपासक करेंगे फर्रुखाबादी ताजे तरबूजों का फलाहार

- जायद में होने वाली तरबूज की फसल सितंबर में उगाई - दिल्ली के बाजार में भेजा जाएगा जनपद से त

By JagranEdited By: Publish:Sat, 25 Sep 2021 08:39 PM (IST) Updated:Sat, 25 Sep 2021 08:39 PM (IST)
नवरात्र में उपासक करेंगे फर्रुखाबादी ताजे तरबूजों का फलाहार
नवरात्र में उपासक करेंगे फर्रुखाबादी ताजे तरबूजों का फलाहार

- जायद में होने वाली तरबूज की फसल सितंबर में उगाई

- दिल्ली के बाजार में भेजा जाएगा जनपद से तरबूज विजय प्रताप सिंह, फर्रुखाबाद

इस बार नवरात्र में उपासक फर्रुखाबादी ताजे तरबूज फलाहार में शामिल कर सकते हैं। यहां कई किसानों ने साधारण तरीके से बेमौसम तरबूज की फसल उगाई है। नवरात्र तक यह फसल तैयार हो जाएगी और मंडियों में तरबूज के फल भेजे जा सकेंगे।

आमतौर पर तरबूज की खेती जायद (मार्च-अप्रैल) में होती है, लेकिन फर्रुखाबाद के रजीपुर क्षेत्र के कई किसानों ने इसे अगस्त में उगाना शुरू किया है। इसकी फसल शारदीय नवरात्र तक तैयार हो जाएगी। सात अक्टूबर से शुरू हो रहे शारदीय नवरात्र को लेकर दिल्ली और मुंबई के बाजारों इन तरबूज को भेजने की तैयारी है। रजीपुर क्षेत्र के गांव कोहनी नगला निवासी किसान बादाम सिंह राजपूत ने बताया कि उन्होंने आठ बीघे में फसल की है। उन्होंने लीक से हटकर कुछ करने का मन बनाया तो दिल्ली की एक कंपनी से 32 हजार रुपये किलो का बीज मंगाया। आठ बीघे में करीब 18 हजार का घूरा (जैविक खाद), 12 हजार की मजदूरी लगी है। हालांकि बेमौसम फसल होने के कारण मवेशियों से बचाने के लिए रखवाली ज्यादा करनी पड़ रही है। इसी तरह चियासर गांव निवासी किसान राधेश्याम ने बहबलपुर गांव के पास स्थित अपने खेतों में 12 बीघे में तरबूज की फसल उगाई है। राधेश्याम और बादाम सिंह राजपूत ने बताया कि तरबूज की फसल सामान्य तरीके से ही की है। बरसात के दिनों में सिचाई की जरूरत कम पड़ी। अब इसमें फसल में फल लगने लगे हैं। नवरात्र को पहली तुड़ान की जाएगी।

सेहत के लिए फायदेमंद है तरबूज

जानकारों के मुताबिक तरबूज की फसल आमतौर पर गर्मी में तैयार होती है। तरबूज में लगभग 97 फीसद पानी होता है। यह शरीर में पानी और ग्लूकोज की मात्रा को पूरा करता है। साथ ही विटामिन ए, बी, सी के अलावा आयरन भी पर्याप्त मात्रा में होता है।

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कंपनियों ने कुछ प्रजातियां विकसित की हैं जिन्हें ठंड में भी इसे उगाया जा सकता है। कुछ सब्जियों में भी यह प्रयोग सफल रहा है। इससे हर मौसम में सब्जी और फल मिलने की उम्मीद बढ़ गई है।

- डा. संजय कुमार, कृषि विज्ञानी, कृषि विज्ञान केंद्र, फर्रुखाबाद।

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