किसानों को फिर दगा दे रहा मक्के का भाव, घाटे में बिक्री को मजबूर

जागरण संवाददाता फर्रुखाबाद अगैती आलू की फसल में नुकसान होने के बाद किसानों ने मक्का की

By JagranEdited By: Publish:Tue, 15 Jun 2021 06:53 PM (IST) Updated:Tue, 15 Jun 2021 06:53 PM (IST)
किसानों को फिर दगा दे रहा मक्के का भाव, घाटे में बिक्री को मजबूर
किसानों को फिर दगा दे रहा मक्के का भाव, घाटे में बिक्री को मजबूर

जागरण संवाददाता, फर्रुखाबाद : अगैती आलू की फसल में नुकसान होने के बाद किसानों ने मक्का की बुवाई कर अच्छा भाव मिलने की उम्मीद जताई थी, लेकिन इस बार भी भाव ने धोखा दे दिया। मक्का का भाव इन दिनों 1300 से 1400 रुपये क्विटल है। इससे लागत मूल्य भी नहीं निकल रहा है। आलू की फसल के बाद अधिकतर किसान मक्का की फसल बोते हैं। वर्ष 2019 में मक्का का भाव 2300 से 2400 रुपये क्विटल तक रहा था। इससे किसानों को काफी मुनाफा हुआ। उसी भाव की उम्मीद में पिछले साल भी किसानों ने मक्का बोई थी, लेकिन भाव लुढ़क कर 1100 से 1200 रुपये क्विटल तक रहा। इस बार आलू में किसानों को नुकसान हुआ। उन्हें उम्मीद थी कि मक्का राहत दे देगी, लेकिन भाव 1300 से 1400 रुपये क्विटल ही है। सातनपुर मंडी में मंगलवार को सूखी मक्का 1420 क्विटल के भाव से बिकी। किसान मक्का लेकर मंडी में आ रहे हैं और वहीं पर सुखाते हैं। मक्का सूखने में दो दिन लगते हैं। इससे लागत मूल्य और बढ़ जाता है। इसी वजह से किसानों की चिता बढ़ी है। जबकि सरकार ने मक्का की खरीद का भाव 1850 रुपये क्विटल रखा है, यह खरीद नवंबर में होने की संभावना है। अधिकांश किसान नवंबर तक मक्का को भंडारित रखने में सक्षम नहीं हैं।

लागत मूल्य भी नहीं मिल रहा

'10 बीघा खेत में मक्का बोई थी। एक बीघा की लागत करीब साढ़े छह हजार रुपये आती है। पांच से सात बार सिचाई करनी पड़ती है। जबकि एक बीघा में अधिकतर पांच से छह क्विटल मक्का ही पैदा होती है। भाव कम होने की वजह से घाटा हो रहा है।'

- कौशलेंद्र सिंह, निवासी गांव रुनी।

जून में ही होनी चाहिए सरकारी खरीद

'खेत में पैदावार होने के बाद किसानों को तुरंत दूसरी फसलों के लिए तैयारी करनी पड़ती है। इस कारण उन्हें रुपयों की जरूरत होती है, जिससे वह अपनी फसल बेचते हैं। बाजार में मक्का का भाव कम है। सरकार को मक्का की खरीद जून में ही शुरू करनी चाहिए।'

- पीके पाल, निवासी गांव पकरिया।

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