विघ्नहर्ता को दी विदाई, शीष झुका लिया आशीष

जागरण संवाददाता, फर्रुखाबाद : देवाधिदेव महादेव के पुत्र विघ्नहर्ता श्री गणेश की विदाई में रविव

By JagranEdited By: Publish:Sun, 23 Sep 2018 10:29 PM (IST) Updated:Sun, 23 Sep 2018 10:29 PM (IST)
विघ्नहर्ता को दी विदाई, शीष झुका लिया आशीष
विघ्नहर्ता को दी विदाई, शीष झुका लिया आशीष

जागरण संवाददाता, फर्रुखाबाद : देवाधिदेव महादेव के पुत्र विघ्नहर्ता श्री गणेश की विदाई में रविवार को श्रद्धा का ऐसा सागर उमड़ा कि मानो सारी दुनिया ही उनकी भक्ति में बिछ गई। टोले-मोहल्लों से निकलीं अनगिनत गणेश प्रतिमा विसर्जन यात्राओं में उड़ा अबीर-गुलाल कण-कण में गौरी के लाल का आभास करा रहा था। डीजे का धमाल, बैंड-बाजे की गूंजती ध्वनि के साथ महादेव की झांकी, काली का अखाड़ा, राधा-कृष्ण स्वरूप संग नाचती-गातीं सखियां। सब कुछ ऐसा कि धरा पर गणपति भक्ति का बैकुंठ ही उतर आया हो। जयकारों से गूंजती रहीं दसों दिशाएं।

गणेश चतुर्थी से शुरू हुआ गणेश उत्सव रविवार को चरम उल्लास पर था। भक्ति के साथ नाचती-गाती खुशियां पांडालों से लेकर सड़कों तक बिछ गईं। विसर्जन के चलते पूजा-पांडालों में तड़के ही विधि-विधान से लंबोदर महाराज का पूजन शुरू हो गया। पूजन-अर्चन, भोग व आरती के समय ही श्रद्धा का रेला पांडाल पहुंचने लगा। गणेश प्रतिमा को भव्य रथ पर विराजते ही बैंड-बाजे से भक्तिधुन बजने लगी। डीजे पर तेज आवाज में भजन शुरू होते ही शोभायात्रा आगे बढ़ने लगी। आगे की शोभायात्रा के पीछे दूसरी यात्रा, उसके पीछे तीसरी। शोभायात्राओं का न टूटने वाला यह सिलसिला शाम तक चलता ही रहा। जमकर झूमीं महिलाएं

शोभा यात्राओं में महिलाओं की श्रद्धा जमकर झूमी। कोई गले में पटका डाले तो कोई माथे पर केसरिया पट्टी बांधे। आंखों में काला चश्मा भी। बप्पा की भक्ति के बहुरंगी रंगों से सराबोर महिलाओं और युवतियों की टोली नाचते-गाते आगे बढ़ रही थी। आधी आबादी की श्रद्धा से विसर्जन यात्राओं की शोभा निखर उठी। माथे पर चंदन लगाए युवा भी विदाई की बेला में झूमते चल रहे। सांस्कृतिक वैभव की छटा, लोक संस्कृतियों का संगम

ऐतिहासिक पांडवेश्वर नाथ मंदिर की शोभायात्रा में गणेश जी की धातु की प्रतिमा की छवि से भक्त आह्लादित हो रहे थे। पांडवेश्वरनाथ की मनोरम झांकी मुग्ध कर रही थी। खाटू श्याम व मेंहदीपुर बाला जी की नयनाभिराम झांकियां भी शामिल रहीं। संस्कार भारती के कलाकारों ने डांडिया में लोक संस्कृति की छटा बिखेरी। अन्य शोभायात्राओं में राधा-कृष्ण की झांकी के साथ नृत्यलीला आकर्षण का केंद्र बनी रही। काली का अखाड़ा राक्षसों का संहार करते चल रहा था। पालकी में गणेश, घरों से भी विसर्जन टोलियां

बजरिया हरलाल, बाग रुस्तम, तिकोना, ¨लजीगंज, खतराना, कुचिया, खड़याई, पलरिया, पल्ला, सुरसा मंदिर, नई बस्ती, देवरामपुर, मित्तूकूंचा, पक्कापुल, सब्जी मंडी, बूरा वाली गली, बजरिया, लालगेट, नितगंजा उत्तर, बटुआ वाली गली, रेलवे स्टेशन निकट वाल्मीक बस्ती, नवाब दिलावरगंज, चमचा वाली गली, टाउनहाल, गुरुगांव देवी मंदिर व नुनहाई से भी गणेश विसर्जन यात्रा निकलीं। कुछ शोभायात्राओं में गजानन को पालकी पर बैठाकर पालकी कंधे पर रखकर चलने का पुण्य श्रद्धालुओं ने कमाया। घरों में स्थापित प्रतिमाओं को लेकर भी टोलियां निकलती रहीं। कुछ श्रद्धालु घर से पैदल ही पांचालघाट तक गए तो कुछ दुपहिया व चार पहिया वाहन से प्रतिमा ले गए।

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