ममता की कीमत पर मरीजों की सेवा को ही धर्म बना लिया

जागरण संवाददाता फर्रुखाबाद विगत वर्ष जब सीएमओ बनकर डॉ. वंदना सिंह फर्रुखाबाद पहुंची तो यह

By JagranEdited By: Publish:Sat, 08 May 2021 10:55 PM (IST) Updated:Sat, 08 May 2021 10:55 PM (IST)
ममता की कीमत पर मरीजों की सेवा को ही धर्म बना लिया
ममता की कीमत पर मरीजों की सेवा को ही धर्म बना लिया

जागरण संवाददाता, फर्रुखाबाद : विगत वर्ष जब सीएमओ बनकर डॉ. वंदना सिंह फर्रुखाबाद पहुंची तो यहां कोरोना से हाहाकार मचा हुआ था। ऐसे में बड़ी समस्या सामने थी। घर परिवार को कोरोना से बचाएं या फिर कोरोना से संक्रमित लोगों की सेवा करें। हालात के मद्देनजर वह मरीजों की सेवा में ही जुट गईं। महामारी में बच्चों को संक्रमण से दूर रखने को उन्होंने बच्चों को अपने साथ न रखने का निर्णय किया। ममता की कीमत पर मरीजों की सेवा को धर्म मानकर चल रहीं वंदना सिंह अपने साथ रह रहे वृद्ध सास व ससुर की सेवा के लिए भी समय भी निकाल ही लेती हैं।

कानपुर नगर की मूल निवासी डॉ. वंदना सिंह का तबादला पिछले वर्ष गाजियाबाद में अपर मुख्य चिकित्साधिकारी पद से फर्रुखाबाद में मुख्य चिकित्सा अधिकारी पद के लिए हुआ तो कोरोना का चहुंओर संक्रमण फैला था। संक्रमण की चुनौती मानकर वह अपने काम में जुट गईं। सुबह से लेकर रात तक अस्पताल और क्वारंटाइन सेंटर का दौरा करती रहीं। इस वर्ष आई दूसरी लहर में भी वह उपलब्ध संसाधनों के साथ पूरी हिम्मत और ताकत से कोरोना के खिलाफ जंग में जूझ रही हैं।

सीएमओ ने बताया कि उनके दोनों बच्चे अनुष्का और अर्पित बाहर रहकर रहकर पढ़ाई कर रहे हैं। संक्रमण को देखते हुए उन्होंने अपने पास बच्चों को भी नहीं बुलाया। समय मिलने पर वह बच्चों से मोबाइल पर ही हालचाल लेती हैं। उनके पति डॉ. आरके यादव गाजियाबाद में अपर मुख्य चिकित्साधिकारी के पद कार्यरत हैं। उन पर वयो-वृद्ध सास व ससुर की भी जिम्मेदारी है। दोनों लोग उनके पास ही रह रहे हैं। हृदय रोग से ग्रसित सास-ससुर को संक्रमण से बचाने को उन्होंने सरकारी आवास में अपना कमरा, बर्तन और अन्य जरूरी सामान भी अलग कर लिया है।

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