एक तो आम की फसल कमजोर, उस पर भुनगा का जोर
संवाद सहयोगी कायमगंज प्रदेश के आम उत्पादन में मलिहाबाद के बाद दूसरा स्थान रखने वाले कायमग
संवाद सहयोगी, कायमगंज : प्रदेश के आम उत्पादन में मलिहाबाद के बाद दूसरा स्थान रखने वाले कायमगंज में इस बार 'आम' कहीं 'खास' न हो जाए। मौसम व आम फसल की प्रकृति अनुरूप इस सीजन में आम वैसे ही कम था। उस पर भुनगा के रोग से रही सही कसर पूरी कर आम को और नुकसान कर दिया। हालांकि बागवान पेड़ों पर दवा का छिड़काव कर आम फसल को भुनगा से बचाने का प्रयास कर रहे हैं। गत वर्ष की तुलना में तीस फीसदी आम रह जाने की आशंका जताई जा रही है।
आम उत्पादक क्षेत्र कायमगंज के आम की दशहरी, बंबई, गोपालभोग, चौंसा, टिकारी, फजली, सुर्क तैमुरिया, चपटा व देशी किस्में मशहूर रही है। यहां का आम जयपुर, दिल्ली, मैनपुरी, आगरा की मंडियों में जाता है। इस सीजन आम के कारोबारी कम फसल की आशंका को लेकर परेशान हैं। 'आम की फसल का नियम है कि एक सीजन में उत्पादन अच्छा तो अगले सीजन में कम होता है। गत सत्र उत्पादन बेहतर था तो इस बार कम होना ही था। इस बसंत की ठंडक के बाद एक दम से जोरदार गर्मी में आम के पेड़ों पर बौर तो घना आया। जिससे बेहतर फसल की उम्मीद थी।'
बबलू गंगवार, गांव पितौरा 'आम के बागों में भुनगा रोग लग जाने से पहले तो बौर खराब होने लगा। जो बौर बचा वह पूरे तौर पर आम में परिवर्तित नहीं हो पाया। मौजूदा हालत यह हैं कि किसी बाग में पचास तो किसी में तीस फीसदी ही आम बचने की उम्मीद है।'
रोमी अली खां, गांव सुभानपुर 'कीटनाशक दवा का छिड़काव करने से भी भुनगा समाप्त नहीं हो रहा, जिससे दिन पर दिन नुकसान बढ़ता जा रहा है। पिछले सीजन तक आम फसल में तीन बार दवा का छिड़काव कराने से काम चल जाता था। इस बार पांच-छह बार तक दवा का छिड़काव हो रहा है। लेकिन फिर भी भुनगा समाप्त नहीं हो रहा।'
सुरेंद्र शाक्य, गांव भटासा