भारत का ही नहीं बल्कि वैश्विक नववर्ष है वर्ष प्रतिपदा
संवाद सहयोगी कायमगंज आर्ष गुरुकुल के पूर्व कुलाधिपति आचार्य चंद्रदेव शास्त्री ने कहा कि नव स
संवाद सहयोगी, कायमगंज : आर्ष गुरुकुल के पूर्व कुलाधिपति आचार्य चंद्रदेव शास्त्री ने कहा कि नव संवत्सर को भारतीय नववर्ष कह कर मनाते हैं, यह त्रुटिपूर्ण है, क्योंकि यह सिर्फ भारतीय नहीं बल्कि वैश्विक नव वर्ष है। आज के दिन ही सृष्टि का आरंभ हुआ था। इसलिए यह पर्व भारत का ही नहीं संपूर्ण विश्व का पर्व है।
नव संवत्सर को आर्य समाज ने सृष्टि संवत दिवस के रूप में मनाया। आर्य समाज भवन में वैदिक यज्ञ के बाद आचार्य ने कहा कि चैत्र शुक्ल प्रतिपदा के दिन सृष्टि का उदय हुआ था। इसलिए नव संवत्सर सिर्फ भारत का नव वर्ष नहीं बल्कि वैश्विक नव वर्ष है। यह तथ्य समझे जाने पर यह पर्व पूरे विश्व में मनाया जाएगा। ईसवी सन के आधार पर विश्व में एक जनवरी को नववर्ष मनाया जाता है। वह तो केवल ईसाई धर्म के 2021 वर्ष पहले अस्तित्व में आने के आधार पर है। चूंकि वर्तमान मे विश्व भर में ईसाई देशों की संख्या अधिक है, इसलिए इसी गणना के आधार पर नववर्ष मान लिया गया, लेकिन इससे पहले भी सृष्टि थी, जिसकी काल गणना वेदों में है। भविष्य में तर्क की कसौटी के आधार पर इसी तथ्य को मान्यता मिलेगी। इससे पूर्व वैदिक मंत्रोच्चार के बीच हुए यज्ञ में डॉ. सत्येश व विदुषी गौड़ ने मुख्य यजमान व संजय रस्तोगी, मुकेश रस्तोगी, प्रदीप सक्सेना, अंगदलाल, रामप्रकाश राठौर ने यजमान के रूप में आहुतियां दीं। एटा के गजाधर शास्त्री ने नव संवत्सर पर्व के विशेष मंत्रों से यज्ञ संपन्न कराया। वर्ष के प्रथम दिन आर्य समाज की नई कार्यकारिणी की घोषणा की गई। जिसमें संजय रस्तोगी प्रधान, मुकेश रस्तोगी उप प्रधान, ओमदत्त शर्मा मंत्री, आलोक रस्तोगी कोषाध्यक्ष, अंगद लाल व सत्येंद्र कुमार उपमंत्री, लज्जाराम आर्य पुस्तकालय अध्यक्ष चुने गए।