एल-2 अस्पताल में जमीन पर लिटा दिए संक्रमित मरीज, हंगामा

जागरण संवाददाता फर्रुखाबाद जैसे-जैसे संक्रमितों की संख्या बढ़ रही है वैसे-वैसे एल-2 अस्पताल

By JagranEdited By: Publish:Fri, 23 Apr 2021 11:08 PM (IST) Updated:Fri, 23 Apr 2021 11:08 PM (IST)
एल-2 अस्पताल में जमीन पर लिटा दिए संक्रमित मरीज, हंगामा
एल-2 अस्पताल में जमीन पर लिटा दिए संक्रमित मरीज, हंगामा

जागरण संवाददाता, फर्रुखाबाद : जैसे-जैसे संक्रमितों की संख्या बढ़ रही है, वैसे-वैसे एल-2 अस्पताल में अव्यवस्था हावी हो रही है। यहां पर तीन संक्रमितों को जमीन पर लिटा दिया गया। यही नहीं संक्रमित रिटायर अमीन की मौत होने पर उनका प्रमाण पत्र नहीं दिया गया। हंगामा करने पर जिलाधिकारी और सीएमओ मौके पर पहुंचे। डीएम ने फटकार लगाई, तब कुछ हद तक व्यवस्था सुधरी।

फतेहगढ़ स्थित एल-2 अस्पताल में मरीजों की संख्या बढ़ती जा रही है। इस समय 65 मरीज भर्ती हैं। शुक्रवार को भर्ती होने आए तीन मरीजों को अस्पताल में जमीन पर लिटा दिया गया। इस पर उनके स्वजन ने हंगामा करना शुरू कर दिया। इन लोगों के हंगामे से भर्ती कुछ मरीज खिड़की से अव्यवस्था की व्यथा सुनाते हुए रोने लगे। देखभाल और ऑक्सीजन न देने का आरोप लगाया। मामले की जानकारी पर सीएमओ डॉ. वंदना सिंह मौके पर पहुंची। इस बीच कुछ लोगों ने जिलाधिकारी मानवेंद्र सिंह को सूचना दे दी। इसके बाद वह भी अस्पताल पहुंच गए। अव्यवस्था होने पर डीएम और सीएमओ ने नाराजगी जताई। सीएमओ ने बताया कि जमीन पर लिटाए गए मरीजों को बेड पर शिफ्ट करा दिया गया है। किसी प्रकार की अव्यवस्था नहीं है। उधर शहर कोतवाली क्षेत्र के मोहल्ला राजीव गांधी नगर निवासी 76 रिटायर अमीन रामप्रकाश शाक्य 21 अप्रैल को कोरोना संक्रमित निकले थे। सांस लेने में दिक्कत होने पर उन्हें एल-2 अस्पताल में भर्ती कराया गया। वहां से गुरुवार को उन्हें सैफई मेडिकल कालेज के लिए रेफर कर दिया गया। सैफई मेडिकल कालेज में बेड न मिलने पर स्वजन देर रात उन्हें फिर एल-2 अस्पताल ले आए। शुक्रवार सुबह उनकी मौत हो गई। अस्पताल से मृत प्रमाण पत्र न दिए जाने पर स्वजनों ने हंगामा कर दिया। जिलाधिकारी से शिकायत करने के बाद मृत प्रमाण जारी किया गया। स्वजन अभिराज शाक्य का आरोप है कि सैफई मेडिकल कालेज में बेड न मिलने पर वह नाना रामप्रकाश को वापस एल-2 में ले आए। यहां पर ऑक्सीजन लेबल कम हो जाने पर रामप्रकाश की मौत हो गई। इसके बावजूद नाना का मृत प्रमाण नहीं बनाया गया। जब शोरशराबा किया तब प्रमाण पत्र जारी किया गया।

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