किसानों के चेहरे खिले, धान की रोपाई शुरू
संवाद सहयोगी अमृतपुर आषाढ़ माह में बरसात न होने से किसान परेशान थे लेकिन सावन में बदर
संवाद सहयोगी, अमृतपुर : आषाढ़ माह में बरसात न होने से किसान परेशान थे, लेकिन सावन में बदरा झूम झूम कर बरसने लगे। जिससे किसान खुश हो गए और खेतों में धान की पौध की रोपाई में जुट गए हैं। बरसात होने से गन्ना व धान की फसल अच्छी होने की संभावना है।
आषाढ़ महीना में भले ही बरसात नहीं हुई, लेकिन सावन माह की शुरुआत से ही बादल झूम झूम कर बरस रहे हैं। जिससे किसानों के चेहरों पर खुशी दौड़ गई हैं। दो तीन वर्षों से कम बरसात होने से क्षेत्र के किसानों का धान की फसल से मोहभंग हो गया, जिससे धान के रकवा कम हो गया। आषाढ़ में बरसात न होने से कम किसानों ने ही धान की पौध तैयार की, लेकिन सावन में बरसात अच्छी होने से किसान धान की रोपाई में जुट गए हैं। बरसात होने से सूख रही गन्ना की फसल भी खिल उठी है। कुम्हरौर के प्रभाकर त्रिवेदी कहते हैं कि बरसात कम होने से धान की फसल से मोहभंग होने लगा और धान की फसल का एरिया कम कर दिया। डीजल का भाव अधिक होने से धान की फसल में लागत नहीं निकल पाती थी। इस बार बरसात अच्छी होने से धान की लागत कम और उत्पादन बढ़ने से किसान खुशहाल हो जाएगा। किराचन के जितेंद्र यादव कहते हैं कि बरसात कम होने से गन्ना का उत्पादन भी कम हो गया है। सिचाई अधिक करने से लागत बढ़ जाती है। बरसात अच्छी होने से गन्ना की फसल अच्छी होगी। जिससे किसानों को मुनाफा होने की संभावना है। लीलापुर के राहुल सिंह राठौर कहते हैं कि आलू काश्तकार बरसात में खेत खाली रखते हैं, लेकिन बरसात नहीं होने से खाली खेत रखने से भी कोई फायदा नहीं होता है। वाटर लेवल भी नीचे चला गया है। जिससे फसलों की सिचाई में अधिक समय लगने से लागत बढ़ जाती है। बरसात अच्छी होने से जमीन उपजाऊ हो जाती है जिससे अगली फसल भी अच्छी होने की संभावना है।