महिलाओं को स्वावलंबी नहीं बना पा रहा डूडा

जागरण संवाददाता फर्रुखाबाद जिला नगरीय विकास अभिकरण (डूडा) महिलाओं को स्वावलंबी नहीं ब

By JagranEdited By: Publish:Thu, 09 Dec 2021 08:00 PM (IST) Updated:Thu, 09 Dec 2021 08:00 PM (IST)
महिलाओं को स्वावलंबी नहीं बना पा रहा डूडा
महिलाओं को स्वावलंबी नहीं बना पा रहा डूडा

जागरण संवाददाता, फर्रुखाबाद : जिला नगरीय विकास अभिकरण (डूडा) महिलाओं को स्वावलंबी नहीं बना पा रहा है। यही वजह है कि विभाग की ओर से संचालित राष्ट्रीय शहरी आजीविका मिशन का लक्ष्य विभाग छह सालों में सिर्फ एक बार ही पूरा कर पाया। विभागीय अधिकारी भी इस ओर कोई ध्यान नहीं दे रहे हैं।

राष्ट्रीय शहरी आजीविका मिशन का उद्देश्य शहरों में स्वरोजगार एवं कौशल आधारित रोजगार के अवसरों को बढ़ावा देना है। ताकि शहरी गरीब परिवारों की गरीबी व उनकी कठिनाइयां दूर हो सकें। इसके लिए स्वयं सहायता समूहों में महिलाओं को जोड़कर उन्हें प्रशिक्षित कर स्वावलंबी बनाया जाता है। जिले में यह योजना दम तोड़ रही है। यही वजह है कि छह साल से डूडा महिला स्वयं सहायता समूह के गठन का निर्धारित लक्ष्य पूरा करने से चूक जाता है। वर्ष 2020 को छोड़ दें तो अन्य सालों में लक्ष्य पूरा नहीं हुआ है। 2021 में 100 का लक्ष्य मिला था, लेकिन अभी तक 58 समूह ही बने हैं।

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समूह को मिलता दस हजार रिवाल्विग फंड

स्वयं सहायता समूहों में कम से कम दस महिलाओं को जोड़ा जाता है। संस्था के नाम से बैंक में खाता खुलता है और फिर नियमित तीन माह तक बैंक से लेन-देन होने पर जिला नगरीय विकास अभिकरण (डूडा) की ओर से समूह को दस हजार रुपये का रिवाल्विग फंड मिलता है, जिससे महिलाएं अपना काम शुरू कर सकती हैं। स्वयं सहायता समूह से जुड़ी महिलाओं को अगरबत्ती, मोमबत्ती, अचार, मुरब्बा आदि का प्रशिक्षण भी दिया जाता है।

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छह साल में बने समूह

वर्ष - लक्ष्य - गठित समूह

2016 - 100- 42

2017 -100 -60

2018 -50 -21

2019 -50 -48

2020 -35 -35

2021 -100 -58

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कोट--

स्वयं सहायता समूह के गठन में महिलाएं ज्यादा दिलचस्पी नहीं लेती हैं, जिससे लक्ष्य पूरा करने में दिक्कत होती है। विभाग पूरा प्रयास कर रहा है कि इस बार लक्ष्य पूरा हो जाए। इसके लिए विभागीय कर्मचारी महिलाओं से संपर्क कर रहे हैं।'

जय विजय सिंह, जिला परियोजना अधिकारी

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