धरा रह गया डीएसी कोड नंबर, हो रही गैस सिलिडर की कालाबाजारी
जागरण संवाददाता फर्रुखाबाद रसोई गैस की कालाबाजारी रोकने को पेट्रोलियम मंत्रालय ने कई प
जागरण संवाददाता, फर्रुखाबाद : रसोई गैस की कालाबाजारी रोकने को पेट्रोलियम मंत्रालय ने कई प्रकार की बंदिशें लगाईं, लेकिन काला बाजारी करने वालों ने उसका भी काट ढूंढ लिया। इसी के चलते डिलेवरी ऑथेंटीफिकेशन कोड (डीएसी) का नियम बनाया गया था, लेकिन एजेंसी मालिक अब इसका उपयोग नहीं कर रहे और न ही पेट्रोलियम कंपनियां इसको लेकर गंभीर हैं। इसी की आड़ में सिलिडरों की काला बाजारी हो रही है। गैस सिलिडर का डिलीवरी कैश मीमो कटते ही एजेंसी कार्यालय से उपभोक्ता के पंजीकृत मोबाइल नंबर पर डीएसी भेजा जाता है। हॉकर को उपभोक्ता से कोड नंबर पूछकर सिलिडर डिलीवर करना चाहिए, लेकिन अब ऐसा हो नहीं रहा है। अधिकांश उपभोक्ताओं के पास डीएसी नंबर नहीं पहुंच रहा। इससे सरकार की मंशा के अनुसार गैस वितरण में पारदर्शिता नहीं आ पा रही। पेट्रोलिग मंत्रालय ने वर्ष 2020 में यह नियम लागू किया था, लेकिन इसका पालन नहीं हो रहा। बड़ी तादाद में अभी भी एलपीजी से वाहन चल रहे हैं। विवाह समारोह, होटल, रेस्टोरेंट में भी रसोई गैस सिलिडरों का ही उपयोग होता है। जय भैरव गैस एजेंसी के मालिक राजू शिवानी ने बताया कि अधिकांश उपभोक्ताओं ने जो नंबर पंजीकृत कराए थे वह बदल गए। बदले हुए नंबर की जानकारी उपभोक्ता नहीं देते। इन दिनों कोविड का प्रकोप चल रहा है। इस वजह से नियम का पालन पूरी तरह नहीं हो पा रहा है। हालांकि एजेंसी मालिक डीएसी नंबर भेजने का प्रयास करते हैं।
जनपद में गैस एजेंसी - 25
उपभोक्ताओं की संख्या - 332853