गाय के गोबर ने दिखाई स्वावलंबन की राह

धीरज अग्निहोत्री फर्रुखाबाद गाय के गोबर ने ग्रामीण क्षेत्रों की महिलाओं स्वावलंबन की राह दि

By JagranEdited By: Publish:Tue, 26 Oct 2021 06:18 PM (IST) Updated:Tue, 26 Oct 2021 06:18 PM (IST)
गाय के गोबर ने दिखाई स्वावलंबन की राह
गाय के गोबर ने दिखाई स्वावलंबन की राह

धीरज अग्निहोत्री, फर्रुखाबाद

गाय के गोबर ने ग्रामीण क्षेत्रों की महिलाओं स्वावलंबन की राह दिखाई है। ग्राम्य विकास विभाग की ओर से जिले में राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन के बैनर तले स्वयं सहायता समूह से जुड़ी महिलाएं दीपावली को लेकर गाय के गोबर से उत्पाद बनाकर बेच रहीं हैं। पिछले वर्ष समूह की महिलाओं ने करीब पांच लाख का कारोबार किया था। इस बार पांच लाख से ऊपर कारोबार होने का अनुमान है।

वर्ष 2020 में ब्लाक मोहम्मदाबाद, कमालगंज, बढ़पुर व कायमगंज में राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन के तहत स्वयं सहायता समूह गठित किए गए थे। इनमें जुड़ी महिलाओं ने गाय के गोबर के दीये, श्री, स्वास्तिक, ओम, शुभ-लाभ, माता चरण व गणेश-लक्ष्मी आदि समेत पूजन की अन्य वस्तुएं भी तैयार की थीं। पिछली बार बढ़ी मांग को लेकर इस बार ग्राम्य विकास विभाग ने नवाबगंज, शमसाबाद व राजेपुर ब्लाकों में भी स्वयं सहायता समूह का गठन कर महिलाओं को प्रशिक्षण दिलवाया। करीब 15 दिन से महिलाएं गाय के गोबर से उत्पाद बना रहीं हैं। मोहम्मदाबाद के उगरपुर गांव में नव ज्योति स्वयं सहायता समूह की अध्यक्ष पिकी के अलावा समूह से जुड़ीं कल्पना, रीना, प्रेमलता, संगम देवी, नन्ही, राम देवी, रामवती, सिया प्यारी व मंजेश देवी गाय के गोबर से गणेश-लक्ष्मी, स्वास्तिक व अन्य वस्तुएं बना रहीं हैं। अध्यक्ष बताती हैं, पिछले साल उन्हें करीब 10 हजार की बचत हुई थी। इस बार भी आर्डर मिले हैं। डिस्ट्रिक रिसोर्स पर्सन (डीआरपी) सुरेंद्र पांडेय ने बताया कि गायब के गोबर से बने उत्पादों की मांग बढ़ रही है। स्वयं सहायता समूह की महिलाओं को जिला प्रशासन प्रशिक्षण दिलवाता है। ऐसे बनते गाय के गोबर के उत्पाद

गाय का गोबर, मिट्टी, गोमूत्र, धूपबत्ती, लोबान व देशी घी एक निश्चित मात्रा में मिलाकर उसको गूंथा जाता है। इसके बाद सांचों की सहायता से दीये, शुभ-लाभ आदि उत्पाद बनाए जाते हैं। सुखाने के बाद उत्पादों को विभिन्न रंगों से रंगा जाता है। गोबर से बने उत्पादों से ये होंगे लाभ

- गोबर के दीये जलाने से वैक्टीरिया नष्ट होते हैं।

- वातावरण में रेडिएशन का खतरा भी कम रहता है।

- गाय के गोबर व गोमूत्र से सकारात्मक ऊर्जा आती है।

- पर्यावरण शुद्ध रखने में मदद मिलती है।

- दीये जलाने के बाद मिट्टी में डालने से वह खाद का काम करते हैं। गोबर से बने उत्पाद पर्यावरण संरक्षण के साथ स्वरोजगार की दिशा में नया प्रयोग हैं। इसके लिए चाक की भी जरूरत नहीं है। सांचों की मदद से बन जाते हैं। बाद में इन्हें घरों पर गमलों, पार्को व खेतों में खाद के तौर पर इस्तेमाल कर सकते हैं। दीपावली मेले में इन उत्पादों को बिक्री के लिए रखा जाएगा।

- योगेंद्र पाठक, जिला विकास अधिकारी।

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