स्क्रीनिग कर खोजे जाएंगे कुष्ठ व टीबी ग्रसित बच्चे
जन्म के समय बच्चों में होने वाले रोगों को काबू में करने के लिए स्वास्थ्य विभाग ने नया तरीका निकाला है। अब स्वास्थ्य विभाग राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम (आरबीएसके) टीम से जन्म के समय बच्चों की स्क्रीनिग कराएगा। ताकि बच्चों में होने वाले गंभीर रोग सामने आ सकें जिससे इलाज कर उनकी जान बचाई जा सके। स्क्रीनिग में प्रमुख रूप से टीबी और कुष्ठ रोगी पर नजर रखी जाएगी
जागरण संवाददाता, फर्रुखाबाद : जन्म के समय बच्चों में होने वाले रोगों को काबू में करने के लिए स्वास्थ्य विभाग ने नया तरीका निकाला है। अब स्वास्थ्य विभाग राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम (आरबीएसके) टीम से जन्म के समय बच्चों की स्क्रीनिग कराएगा। ताकि बच्चों में होने वाले गंभीर रोग सामने आ सकें, जिससे इलाज कर उनकी जान बचाई जा सके। स्क्रीनिग में प्रमुख रूप से टीबी और कुष्ठ रोगी पर नजर रखी जाएगी।
शुरू से ही बच्चों में होने वाले रोगों की जानकारी हो सके, इसलिए तो स्क्रीनिग कर बीमारियों पर अंकुश लगाया जा सकता है। इसे देखते हुए राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन के निदेशक पंकज कुमार ने मुख्य चिकित्साधिकारी को पत्र भेजकर आरबीएसके टीम से जन्म के समय बच्चों की स्क्रीनिग कराने के आदेश दिए हैं। स्क्रीनिग के दौरान टीम में शामिल डॉक्टर और स्वास्थ्य कर्मी बच्चों में टीबी और कुष्ठ रोग पर विशेष तौर पर नजर रखेंगे। समय रहते जानकारी होने के पर इलाज दिलाकर बच्चों की जान बचाई जा सकती है। जन्म के समय कटे होंठ, तालू, दिमागी फोड़ा, बहरापन समेत 38 बीमारियों की स्क्रीनिग होती थी। अब प्रसव कक्ष में तैनात स्वास्थ्य कर्मी शिशु के जन्म लेते ही यह सुनिश्चित करेंगे कि उन्हें इन बीमारियों के अलावा कुष्ठ व क्षय रोग तो नहीं है। यह कदम शिशु मृत्यु दर कम करने के उद्देश्य से उठाया गया है। प्रत्येक ब्लॉक में दो-दो टीमों में जिले में आरबीएसके की कुल 14 टीमें कार्य कर रही हैं। ''शीघ्र ही आरबीएसके टीम को जन्म के समय बच्चों में होने वाली बीमारियों को पहचानने के लिए प्रशिक्षण दिया जाएगा। ताकि समय रहते बच्चों की जान बचाई जा सके''
- डॉ.दलवीर सिंह अपर मुख्य चिकित्साधिकारी