बौद्ध अनुयाइयों को समझनी होगी अपने वोट की कीमत
संवाद सूत्र संकिसा कौमुदी महोत्सव में शुक्रवार को मुख्य अतिथि पूर्व मंत्री व जन अधिकार पार्टी
संवाद सूत्र, संकिसा : कौमुदी महोत्सव में शुक्रवार को मुख्य अतिथि पूर्व मंत्री व जन अधिकार पार्टी के अध्यक्ष बाबू सिंह कुशवाह ने इशारे इशारे में समाज के लोगों को वोट की कीमत समझाई। उन्होंने कहा कि हम अपने वोट की कीमत समझेंगे तभी शोषित और वंचित समाज का उद्धार कर पाएंगे। इसके लिए हमें अभी से तैयार होना होगा।
पूर्व मंत्री ने कहा कि बौद्ध धर्म और अन्य धर्मों के रास्ते अलग हैं, लेकिन अंत में सभी धर्म एक ही जगह पहुंचते हैं। 300 वर्ष तक भारत में कोई भगवान बुद्ध की मूर्ति की पूजा नहीं होती थी, केवल पीपल के वृक्ष की पूजा तक ही भगवान बुद्ध की पूजा सीमित थी, लेकिन धीरे-धीरे जागरूकता बढ़ी और लोगों ने भगवान बुद्ध के महत्व को समझा। उन्होंने कहा कि हम जिस समाज में हैं, उसके पास बहुत दिमाग है। इस कारण इसमें नेता बनना मुश्किल है। इसी वजह से समाज के लोग उनकी बात नहीं मानते। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ महंत रहते किसी की ट्रांसफर पोस्टिग नहीं कर सकते थे, अब उन्हें वोट की ताकत मिली तो वह ट्रांसफर पोस्टिग कर रहे हैं। हमें भी अपने वोट की कीमत समझनी होगी। गजराज सिंह, सुरेश बौद्ध, सरिता शाक्य, शिवशरण बौद्ध आदि ने संबोधित किया। संचालन कार्यक्रम संयोजक सुनील दत्त शाक्य ने किया। कड़ी सुरक्षा में निकली धम्म यात्रा, लहराए पंचशील ध्वज
संवाद सूत्र, संकिसा : कार्तिक कौमुदी महोत्सव में शुक्रवार शाम पुलिस की कड़ी सुरक्षा व्यवस्था में धम्म यात्रा निकाली गई। पूरे यात्रा मार्ग में जगह-जगह पुलिस तैनात थी। बौद्ध श्रद्धालु पंचशील ध्वज लहराकर बैंडबाजे की धुन पर धार्मिक नारे लगा रहे थे। सुरक्षा की ²ष्टि से ड्रोन कैमरे से पूरे कार्यक्रम पर नजर रखी जा रही थी।
महोत्सव आयोजक सुनील दत्त शाक्य व अन्य लोगों की अगुवाई में शाम को कार्यक्रम स्थल से धम्म यात्रा रवाना हुई। युवक धार्मिक नारेबाजी कर एक-दूसरे का उत्साहवर्धन कर रहे थे। ड्रोन कैमरे से धार्मिक स्थल व गांव संकिसा की निगरानी की जा रही थी। धम्म यात्रा धार्मिक स्थल परिसर में पहुंची। श्रद्धालुओं ने बौद्ध मंदिर में मोमबत्ती जलाकर पूजा-अर्चना की। भिक्षुगणों ने धार्मिक रीतिरिवाज से पूजा संपन्न कराई। प्रसाद भी वितरित किया गया। एसडीएम सदर संजय सिंह व क्षेत्राधिकारी कायमगंज सोहराब आलम डटे रहे। खुफिया विभाग के कर्मचारी भी हर गतिविधि पर नजर रखे थे। पुलिस ने धार्मिक स्थल के चारों तरफ रस्सी बांध दी थी, किसी को भी ऊपर जाने की इजाजत नहीं थी।