बिजली गुल होते ही छा जाता लापरवाही का 'अंधेरा'
जागरण संवाददाता फर्रुखाबाद सरकार अस्पतालों में मरीजों को बेहतर सुविधाओं के साथ बेहतर इ
जागरण संवाददाता, फर्रुखाबाद : सरकार अस्पतालों में मरीजों को बेहतर सुविधाओं के साथ बेहतर इलाज का प्रयास करती है, लेकिन लापरवाही के कारण सरकारी अस्पतालों में व्यवस्था बदहाल है। डा. राममनोहर लोहिया जिला चिकित्सालय ही देख लिया जाए, यहां बिजली के गुल होती ही लापरवाही का 'अंधेरा' पसर जाता है। बिजली जाने पर चिकित्सकों के कमरों में तो पंखे चलते हैं, बाकी वार्डों और आकस्मिक सेवा में इनवर्टर से छोटी लाइटें ही जलती हैं। गर्मी के मौसम में मरीज बेहाल हो जाते हैं। जबकि अस्पताल में पांच जनरेटर हैं और प्रतिमाह हजारों रुपये डीजल के नाम पर खर्च होते हैं।
300 शैय्या के डा. राममनोहर लोहिया जिला चिकित्सालय में जिले के ही नहीं, आसपास के जिलों से भी लोग इलाज की आस में आते हैं। चिकित्सकों की कमी से जूझ रहे इस अस्पताल में अव्यवस्थाएं भी हावी हैं। यहां बिजली जाने पर मरीजों को एसी-कूलर तो दूर पंखे तक की सुविधा नहीं मिलती है। इनवर्टर से जलने वाली टिमटिमाती लाइट में वार्डों में भर्ती मरीज बेहाल हो जाते हैं। कोई दफ्ती से हवा करता है तो कोई अपने कपड़ों से ही मरीजों पर हवा करते हैं।
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लोहिया अस्पताल के लिए बना है स्वतंत्र फीडर
लोहिया अस्पताल को निर्बाध बिजली आपूर्ति हो, इसके लिए 425 केवीए का एक स्वतंत्र फीडर बनाया गया है, कई वर्षों से यह सही तरीके से काम नहीं कर रहा है। कभी केबल फुंकने के कारण यह बंद रहता है तो कभी वोल्टेज के उतार-चढ़ाव के कारण इस फीडर का इस्तेमाल बंद कर दिया जाता है। सामान्य फीडर लकूला से ही इसका कनेक्शन जोड़ लिया जाता है। इस कारण यहां बिजली की आवाजाही बराबर होती रहती है।
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पांच जनरेटर रहते शोपीस
अस्पताल में एक्स-रे के लिए 125 केवीए, अस्पताल के लिए 62.5 और 50 केवीए, ब्लड बैंक के लिए 10 केवीए, आक्सीजन प्लांट के लिए 125 केवीए का आक्सीजन प्लांट व पीकू वार्ड के लिए हैं। आदेश हैं कि बिजली जाने के 10 मिनट के अंदर जनरेटर चलने चाहिए, लेकिन ऐसा नहीं किया जाता है।
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बोले जिम्मेदार
'जनरेटर आपरेटर को निर्देश हैं कि बिजली जाने पर 10 मिनट के अंदर जनरेटर चलाए जाएं। मार्च 2021 से डीजल का बजट नहीं आया है। इसके बावजूद उधार लेकर किसी तरह से काम चलाया जा रहा है।'
- डा. राजकुमार गुप्ता, मुख्य चिकित्सा अधीक्षक।