बिना पानी के भी उत्पादित हो सकेगा गेहूं
कृषि विवि में एनडब्ल्यू-6046 गेहूं की नई प्रजाति विकसित. बिना सिचाई 21 से 25 क्विंटल प्रति हेक्टेयर होगी उपज.
प्रवीण तिवारी,अयोध्या : यदि गेहूं बोने के बाद खेत में पानी न लगाया जाए तब भी आपको अच्छी उपज मिलेगी। बिना पानी के भी उत्पादन देने वाली गेहूं की नई प्रजाति आ गई है। इसे आचार्य नरेंद्रदेव कृषि विश्वविद्यालय के विज्ञानी डॉ. विनोद सिंह ने विकसित किया है। यहीं के परिक्षेत्रों में पहले इसका ट्रायल किया गया। सफलता मिलने के बाद इसका ट्रायल राज्य सरकार के अलग-अलग परिक्षेत्रों पर तीन वर्षों तक किया गया। तब जाकर इसे विकसित करने में कामयाबी हासिल हुई। गेहूं की इस नई प्रजाति का नाम एनडब्ल्यू-6046 है। ये अन्य गेहूं प्रजातियों से भिन्न है। सामान्य गेहूं का बीज बोए जाने पर औसतन 40-50 क्विंटल प्रति हेक्टेयर उपज मिलती है, लेकिन कई बार सिचाई करनी पड़ती है पर इस प्रजाति को बिना सिचाई ही तैयार किया जा सकेगा और 21 से 25 क्विंटल गेहूं प्रति हेक्टेयर पैदा किया जा सकेगा। ------------ एक सिचाई पर पैदावार में बड़ा उछाल अयोध्या: एनडब्ल्यू-6046 प्रजाति की एक खासियत यह भी है कि यदि एक बार सिचाई कर दी जाय तो इसकी पैदावार 25 से 30 क्विंटल प्रति हेक्टेयर तक ली जा सकती है। इसकी पकने की अवधि 125 से 127 दिन ही है। तकरीबन सामान्य गेहूं भी इतने ही दिन में तैयार हो जाता है। पौधे की ऊंचाई 95 से 97 सेंटीमीटर होती है।
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रोग रोधी भी है ये प्रजाति
अयोध्या: इसे विकसित करने वाले विज्ञानी डॉ. विनोद सिंह बताते हैं कि इस प्रजाति की फसल में पकने के बाद भी दाने नहीं झड़ते। पौधे नहीं गिरते। यह फसल रतुआ एवं पर्ण झुलसा जैसे रोग के प्रति अवरोधी की भूमिका में होती है। बिना पानी के भी इसकी पैदावार ली जा सकती है। कृषि निदेशालय ने बीज में इसे शामिल कर लिया है।