भगवान राम भारतीय संस्कृति का आधार स्तंभ: माता ज्ञानमती

अयोध्या काशी हिदू विश्वविद्यालय वाराणसी व डॉ. राममनोहर लोहिया अवध विश्वविद्यालय के संयुक्त संयोजन में राम राज्य में मानवीय मूल्य-वर्तमान वैश्विक परि²श्य विषय पर वेबिनार का आयोजन हुआ। वेबिनार जैन धर्म की शीर्षस्थ साध्वी माता ज्ञानमती ने मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान श्रीराम को भारतीय संस्कृति का आधार स्तंभ बताया। कहा जहां सुख शांति है वहीं रामराज्य है।

By JagranEdited By: Publish:Mon, 01 Jun 2020 12:41 AM (IST) Updated:Mon, 01 Jun 2020 12:41 AM (IST)
भगवान राम भारतीय संस्कृति का आधार स्तंभ: माता ज्ञानमती
भगवान राम भारतीय संस्कृति का आधार स्तंभ: माता ज्ञानमती

अयोध्या: काशी हिदू विश्वविद्यालय वाराणसी व डॉ. राममनोहर लोहिया अवध विश्वविद्यालय के संयुक्त संयोजन में राम राज्य में मानवीय मूल्य-वर्तमान वैश्विक परि²श्य विषय पर वेबिनार का आयोजन हुआ। वेबिनार जैन धर्म की शीर्षस्थ साध्वी माता ज्ञानमती ने मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान श्रीराम को भारतीय संस्कृति का आधार स्तंभ बताया। कहा, जहां सुख, शांति है वहीं रामराज्य है। उन्होंने जैन ग्रंथ पद्म पुराण में वर्णित भगवान राम की विशेषताओं को बताया। रामकथा मर्मज्ञ साध्वी मंदाकिनी रामकिकर ने कहाकि प्रभु राम भारतीय संस्कृति के सिरमौर हैं।

अविवि के कुलपति प्रो. मनोज दीक्षित ने कहा कि अयोध्या भगवान राम की शाश्वत नगरी है व काशी भगवान शिव की। दोनों विश्व की प्राचीनतम जीवित नगरियां हैं। प्रो. दीक्षित ने कहाकि प्रभु राम, भगवान शिव को अपना आराध्य मानते हैं और भगवान शिव, प्रभु राम को। अवध विश्वविद्यालय में श्रीराम शोध पीठ व भगवान ऋषभदेव शोधपीठ है, जिससे भारतीय संस्कृति की दोनों धाराओं के महापुरुषों की वाणी को जन-जन तक पहुंचाया जा रहा है। काशी हिदू विश्वविद्यालय के कुलसचिव डॉ. नीरज त्रिपाठी ने प्रभु राम के चरित्र को अपने जीवन में अपनाने का आह्वान किया। वेबिनार की शुरुआत डॉ. जीवन प्रकाश जैन एवं मनीष शास्त्री ने की। वेबिनार का संचालन डॉ. सुचिता सिंह ने किया। डॉ. उषा त्रिपाठी ने आभार ज्ञापित किया। वेबिनार में श्रीलंका विश्वविद्यालय की डॉ. रानी कुमारी, लंदन के फ्रांसिस क्रिक कैंसर रिसर्च इंस्टीट्यूट के डॉ. जयंत अस्थाना, फ्लोरिडा विश्वविद्यालय के डॉ. पीयूष, सोफिया विश्वविद्यालय बल्गारिया के प्रो. आनंदवर्धन शर्मा, कुंदकुंद ज्ञानपीठ के निदेशक प्रो. अनुपम जैन, प्रो. खुशहाली, डॉ. संजीव सराफ, डॉ. अभिषेक त्रिपाठी, डॉ. रामकुमार, डॉ. मनीष सिंह, सौदामिनी श्रीवास्तव, डॉ. राजीव वर्मा, प्रो संजय गुप्ता, प्रो. गिरजा शंकर शास्त्री आदि थे।

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