गुरुकुल के नव प्रवेशी ब्रह्मचारियों का सामूहिक यज्ञोपवीत

वैदिक विधि-विधान के बीच आचार्य मनोज दीक्षित राजकुमारदास एवं अन्य विशिष्ट जनों ने 17 ब्रह्मचारियों को धारण कराया यज्ञोपवीत.

By JagranEdited By: Publish:Thu, 22 Oct 2020 11:53 PM (IST) Updated:Thu, 22 Oct 2020 11:53 PM (IST)
गुरुकुल के नव प्रवेशी ब्रह्मचारियों का सामूहिक यज्ञोपवीत
गुरुकुल के नव प्रवेशी ब्रह्मचारियों का सामूहिक यज्ञोपवीत

अयोध्या : वासुदेवघाट स्थित गुरु वशिष्ठ गुरुकुल के नव प्रवेशी 17 ब्रह्मचारियों का वैदिक विधि-विधान से सामूहिक यज्ञोपवीत किया गया। यजमान की भूमिका में गुरु वशिष्ठ गुरुकुल न्यास के अध्यक्ष एवं अविवि के पूर्व कुलपति आचार्य मनोज दीक्षित रहे। उन्होंने पूरे चाव से यज्ञोपवीत के कर्मकांड का निर्वहन किया। ब्रह्मचारियों के मुंडन के बाद षोडशोपचार पूजन किया गया। इसके बाद ब्रह्मचारियों को दूध, दही, घी, गोबर और गोमूत्र से पंचगव्य स्नान कराया गया। पूजन की प्रक्रिया हवन कुंड में आहुति के साथ पूरी हुई। इसके बाद आचार्य दीक्षित सहित गुरु वशिष्ठ न्यास के संरक्षक एवं शीर्ष पीठ रामवल्लभाकुंज के अधिकारी राजकुमारदास तथा अन्य विशिष्ट जनों ने ब्रह्मचारियों को यज्ञोपवीत धारण कराया। आचार्य दीक्षित ने कहा, यज्ञोपवीत ताजिदगी आत्मानुशासित रहने का सद्संकल्प है और इसकी मर्यादा का अनुपालन व्यक्तित्व निर्माण की धुरी है। ..तो राजकुमारदास ने यज्ञोपवीत और सनातन संस्कृति के अन्य मूल्यों-आदर्शों के अनुपालन को अप्रतिम बताया तथा कहा, यज्ञोपवीत से अनुबंधित जीवन मनुष्य की असीम संभावनाओं का मार्ग प्रशस्त करता है। इस मौके पर आस-पास के जिला सहित मध्य प्रदेश और बिहार तक से नव प्रवेशी ब्रह्मचारियों के परिवारीजन भी मौजूद रहे। कार्यक्रम का संयोजन गुरुकुल के निदेशक डॉ. दिलीप सिंह, अविवि में पुस्तकालयाध्यक्ष प्रो. आरके सिंह, गुरुकुल के उप प्रबंधक आदर्श सिंह ऋषभ एवं युवा शास्त्रीय गायक सुमधुर ने किया। मार्च 2018 से संचालित गुरुकुल में कुल 67 ब्रह्मचारी अध्ययनरत हैं। इन्हें संबंधित विषयों में निष्णात पांच आचार्य वैदिक परंपरा के अनुरूप शिक्षा देते हैं। गुरुकुल में छात्रों की आवासीय व्यवस्था और अनुशासित दिनचर्या के साथ वेद, ज्योतिष, संगीत, कला सहित हिदी, अंग्रेजी, संस्कृत भाषा के साथ गणित का अध्ययन कराया जाता है।

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