रामनगरी और दक्षिण कोरिया के बीच बन रहा 'पर्यटन सेतु'

रघुवरशरण अयोध्या रामनगरी और दक्षिण कोरिया के बीच पर्यटन सेतु निर्मित हो रहा है।

By JagranEdited By: Publish:Wed, 22 Sep 2021 11:04 PM (IST) Updated:Thu, 23 Sep 2021 08:06 AM (IST)
रामनगरी और दक्षिण कोरिया के बीच बन रहा 'पर्यटन सेतु'
रामनगरी और दक्षिण कोरिया के बीच बन रहा 'पर्यटन सेतु'

रघुवरशरण, अयोध्या

रामनगरी और दक्षिण कोरिया के बीच 'पर्यटन सेतु' निर्मित हो रहा है। इसे सरयू तट स्थित रानी हो के स्मारक में देखा जा सकता है। अंतिम स्पर्श पा रहा यह निर्माणाधीन स्मारक अयोध्या और दक्षिण कोरियाई वास्तु शैली का परिचायक होने के साथ अयोध्या और दक्षिण कोरिया के दो हजार वर्ष पुराने रिश्तों को भी रोशन करने वाला है। करीब पांच बीघा के परिसर में एक ओर स्थानीय वास्तु शैली में उन रानी हो का स्मारक निर्मित हो रहा है, जो अयोध्या की राजकुमारी थीं और सुदीर्घ जल मार्ग का सफर तय कर दक्षिण कोरिया पहुंचीं। राजकुमारी के रूप में रानी हो श्री रत्ना या सूरी रत्ना के नाम से जानी जाती थीं। दक्षिण कोरिया पहुंच कर राजा सूरो से विवाह के बाद श्री रत्ना रानी हो के रूप में प्रसिद्ध हुईं। रानी की इसी जलयात्रा का परिचय स्मारक में निर्मित हो रहे सरोवर से मिलता है और इसी सरोवर के दूसरी ओर दक्षिण कोरियाई वास्तु शैली में निर्मित राजा सूरो का स्मारक है। रामनगरी में नागर शैली के बने मंदिरों और शिखरों की बहुतायत के बीच 32 फीट ऊंचा और ग्रेनाइट से आच्छादित राजा सूरो का स्मारक देखना चमत्कारिक है और रानी हो तथा राजा सूरो के स्मारक के बीच निर्मित सेतु पुराने संबंधों के साथ पर्यटन से जुड़ी संभावनाओं का चमत्कार परिभाषित करता है। 50 करोड़ की लागत से रानी हो एवं राजा सूरो का स्मारक भारत एवं दक्षिण कोरिया की सरकार के आपसी सहयोग से निर्मित कराया जा रहा है। तीन नवंबर को प्रस्तावित दीपोत्सव के मौके पर इसके उद्घाटन की तैयारी की जा रही है। दीपोत्सव के मुख्य अतिथि के तौर पर दक्षिण कोरिया के राष्ट्रपति मून जे इन तथा मुख्य मेजबान के तौर पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के मौजूद होने की संभावना जताई जा रही है। आकृष्ट होंगे विदेशी पर्यटक

- राजा सूरो एवं रानी हो का स्मारक विदेशी पर्यटकों को विशेष तौर पर आकृष्ट करेगा। पितामह सूरो एवं पितामही हो को नमन करने प्रति वर्ष हजारों दक्षिण कोरियाई पर्यटक भी रामनगरी पहुंचेंगे, तो देश के विभिन्न हिस्सों से रामनगरी पहुंचने वाले श्रद्धालुओं एवं पर्यटकों के लिए भी यह स्मारक आकर्षण का केंद्र होगा। समीक्षकों का मानना है कि अकेले यह स्मारक ही रामनगरी के पर्यटन को अंतर्राष्ट्रीय पहचान प्रदान करने के साथ पर्यटकों की संख्या में समुचित वृद्धि का सबब बनेगा। दक्षिण कोरिया में सर्वाधिक प्रभावी हैं रानी हो के वंशज

- राजा सूरो एवं रानी हो के वंशज दक्षिण कोरिया में सर्वाधिक संख्या एवं प्रभावी समूह के रूप में स्थापित हैं और वे पितामह तथा पितामही के रूप में राजा सूरो एवं रानी हो के प्रति बेहद आस्थावान हैं। निर्माणाधीन भव्य स्मारक से पूर्व दक्षिण कोरिया की करक क्लेन सोसाइटी की ओर से रानी हो का एक स्मारक दो दशक पूर्व ही सरयू तट पर स्थापित किया गया था। इस स्मारक पर श्रद्धा सुमन अर्पित करने प्रति वर्ष अथवा छह माह में दक्षिण कोरियाई नागरिकों का दल रामनगरी आता है। पुरातन और नजदीकी रिश्ते के कारण संपूर्ण रामनगरी भी उनके लिए आस्था का केंद्र है। कोरियाई शैली के साथ वहां की लकड़ी का भी प्रयोग

- स्मारक के पिलर एवं छतरी निर्माण में दक्षिण कोरियाई शैली के अलावा वहां की लकड़ी का भी प्रयोग किया गया है। दक्षिण कोरिया से लाई गई विशेष लकड़ी का प्रयोग पार्क विकसित किए जाने में भी किया जाना है।

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