शहर में दिखा 'जनता लॉकडाउन' सरीखा नजारा
सुबह से ही सड़क पर दिखी जनता की कम आवाजाही.साप्ताहिक बंदी और चुनावी अवकाश के कारण सड़क पर कम दिखे लोग.
अयोध्या : इसे कोरोना का डर नहीं बल्कि महामारी के खिलाफ जनता के युद्ध का आगाज ही कहा जाएगा। तीन दिनों से लगातार कोरोना संक्रमण की विस्फोटक स्थिति और मरीजों की दुर्दशा की तस्वीरों से आम जनता अब स्वयं ही इस महामारी से निपटने के लिए सचेत हो रही है। बुधवार को शहर में मार्गों पर लोगों की आवाजाही कम थी। गुरुवार को साप्ताहिक बाजार बंदी और चुनावी अवकाश होने के बाद भी शहर में लोगों का आवागमन काफी नियंत्रण में दिखा। मौजूदा परिस्थिति लोगों से इसी समझदारी की अपेक्षा भी करती है। कोरोना बेकाबू रफ्तार से बढ़ रहा है। इससे बचाव के इंतजाम नाकाफी नजर आ रहे हैं। इलाज मिलना दुश्वार हो चुका है। ऐसे में जनता को ही स्वयं ही अपना बचाव करने की जरूरत है। ऐसा नहीं था कि गुरुवार को शहर की सभी दुकानें बंद रहीं, जो प्रतिष्ठान खुले भी उन पर भीड़ न के बराबर थी। मानो जागरूक लोगों ने यह संदेश दे दिया हो कि अब उन्हें ही कुछ करना है। अयोध्या के मठ-मंदिरों तक में सन्नाटा रहा। यही नहीं लखनऊ में व्यापारियों ने स्वत: दुकानें बंद करने का निर्णय लिया, तो रामनगरी के भी उद्योग व्यापार प्रतिनिधि मंडल ने इस प्रकार की ऐहतियाती बंदी को लेकर जिले के व्यापारियों ने सुझाव मांगा है। महामंत्री अरुण अग्रवाल की ओर से अपने व्यापार मंडल के ग्रुप में कोरोना की भयावह होती स्थिति का हवाला देकर सप्ताह भर की बंदी पर व्यापारियों के सुझाव आमंत्रित किए हैं। उन्होंने कहाकि यह वक्त स्वयं भी जागरूक होने का है। महामारी की जो हाहाकारी स्थिति कभी दूसरे देशों की सुना करते थे वह संकट आज अपने देश व समाज पर गहरा गया है। इसलिए सचेत रहिए। अनावश्यक बाजार में मत घूमिए।