एक अदद जाति प्रमाणपत्र के लिए साल भर से दौड़ रही महिला

सदर तहसील के एक गांव की महिला लगभग साल भर से अपना जाति प्रमाणपत्र बनवाने के लिए एड़ियां घिस रही है। कुछ दिन बाद ही आवेदन निरस्त हो जाता है। जाति प्रमाणपत्र न बन पाने के कारण महिला को सरकारी योजनाओं का लाभ नहीं मिल पा रहा है।

By JagranEdited By: Publish:Fri, 18 Jun 2021 10:55 PM (IST) Updated:Fri, 18 Jun 2021 10:55 PM (IST)
एक अदद जाति प्रमाणपत्र के लिए साल भर से दौड़ रही महिला
एक अदद जाति प्रमाणपत्र के लिए साल भर से दौड़ रही महिला

अयोध्या: सदर तहसील के एक गांव की महिला लगभग साल भर से अपना जाति प्रमाणपत्र बनवाने के लिए एड़ियां घिस रही है। कुछ दिन बाद ही आवेदन निरस्त हो जाता है। जाति प्रमाणपत्र न बन पाने के कारण महिला को सरकारी योजनाओं का लाभ नहीं मिल पा रहा है।

मामला तहसील सदर के गांव मलिकपुर मजरे वजीर कोलिया का है। महिला तारावती का कहना है कि चार बार जाति प्रमाण पत्र बनवाने के लिए आवेदन किया, कुछ दिनों बाद वह निरस्त कर दिया जाता है। अब तक जाति प्रमाण पत्र नहीं बन पाया। बीती पांच जून को जाति प्रमाणपत्र के लिए आवेदन किया तो तहसीलदार ने वांछित प्रमाण नहीं संलग्न करने की टिप्पणी के साथ 14 जून को आवेदन निरस्त कर दिया। तहसीलदार विजय सिंह ने लेखपाल से बात करने के बाद बताया कि तहसील में वनमानुष जाति का प्रमाणपत्र नहीं बनता है, क्योंकि वनमानुष जाति घुमंतू समुदाय की है। यह स्थिति तब है जब महिला का निवास प्रमाणपत्र बीती 27 फरवरी को उपजिलाधिकारी सदर और आय प्रमाणपत्र तहसीलदार सदर ने जारी कर रखा है। जाति प्रमाणपत्र लेखपाल के कहने पर नहीं जारी होता है। इसे जारी करने का अधिकार तहसीलदार को है। - महिला के परिवार के तीन सदस्यों को जारी हो चुका है वनमानुष जाति का प्रमाणपत्र

पीड़ित महिला तारावती का कहना है कि उसके पति खदेरू पुत्र रामआनंद का जाति प्रमाण पत्र 23 दिसंबर 2005 को तहसीलदार सदर ने जारी किया है, जिसमें स्पष्ट लिखा गया है कि खदेरू वनमानुष अनुसूचित जनजाति के व्यक्ति हैं। इसी प्रकार तारावती के पुत्र रमेश कुमार का भी जाति प्रमाणपत्र 19 अगस्त 2010 को और पुत्री संगीता का भी जाति प्रमाण पत्र 30 सितंबर 2016 को जारी किया गया है। जिसमें उसे वनमानुष अनुसूचित जनजाति का होना बताया गया है।

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