रामनगरी तड़के से ही भोले के भक्तों से बम-बम हुई

सावन के दूसरे सोमवार को दिन चढ़ने के साथ चटख होता गया आस्था का रंग सरयू तट से लेकर नागेश्वरनाथ सहित रामनगरी का बड़ा हिस्सा रहा शिवभक्तों के आगोश में

By JagranEdited By: Publish:Mon, 02 Aug 2021 11:45 PM (IST) Updated:Mon, 02 Aug 2021 11:45 PM (IST)
रामनगरी तड़के से ही भोले के भक्तों से बम-बम हुई
रामनगरी तड़के से ही भोले के भक्तों से बम-बम हुई

अयोध्या : सावन और सोमवार के पुण्य योग से अभिभूत रामनगरी तड़के ही भोले के भक्तों से बम-बम हो उठी। दिन चढ़ने के साथ भोले के भक्तों की आस्था चटख होती गई। शुरुआत सरयू तट से हुई। पौ फटने से पूर्व शिवभक्तों का जत्था पुण्यसलिला की ओर उन्मुख हुआ। संत तुलसीदासघाट, लक्ष्मणघाट सहित कई अन्य घाटों पर सरयू स्नान का सिलसिला पूर्वाह्न तक चला और सरयू स्नान के बाद श्रद्धालुओं का जत्था पौराणिक महत्व की पीठ नागेश्वरनाथ की ओर बढ़ा। श्रद्धालुओं का गहन प्रवाह प्रशासनिक अधिकारियों एवं पुलिस के जवानों की घंटों परीक्षा लेता रहा। भोर के कुछ घंटों तक बाबा के दरबार में रह-रह कर श्रद्धालुओं का सैलाब उमड़ रहा था। भीड़ के दबाव का सामना करते भक्त किसी तरह बाबा के सम्मुख पहुंच कर दूध अथवा सरयू जल से अभिषेक कर रहे थे। अगले पल उन्हें निकास द्वार की ओर बढ़ने को विवश होना पड़ रहा था। आस-पास के जिलों के श्रद्धालुओं की आस्था के केंद्र में यदि नागेश्वरनाथ मंदिर था, तो एक अन्य पौराणिक पीठ क्षीरेश्वरनाथ स्थानीय श्रद्धालुओं की आस्था के केंद्र में था। यहां भी तड़के से भक्तों का तांता लगा। दिन ढलते ही अभिषेक का सिलसिला थमा और बाबा को भांति-भांति के फूलों एवं पुष्पलड़ियों से सज्जित किया गया। इसी के साथ ही बाबा की शोभा शिरोधार्य करने के लिए भक्तों की नई पांत उमड़ी।

संध्या आरती के साथ बाबा के प्रति आस्था का वैभव चरम पर दिखा। देर रात तक प्रसाद वितरण का दौर चला। शयन आरती के साथ भोले के मंदिरों का पट बंद हुआ, पर तब तक श्रद्धालु उनकी आभा-प्रभा अपने मानस पटल पर पूरी तरह से सहेज चुके थे। गुप्तारघाट स्थित पंचमुखी मंदिर पर भी तड़के से अभिषेक करने वालों का तांता लगा। सायं बाबा की नयनाभिराम झांकी सजी। नाका हनुमानगढ़ी परिसर स्थित भास्करनाथ महादेव मंदिर पर भी भक्तों का तांता लगा। भक्तों ने शिवजी को बिल्वपत्र, सरयू जल, दूध आदि अर्पित किया। सायं भोले बाबा का भव्य श्रृंगार किया गया। भक्तों की व्यवस्था में पीठाधिपति महंत रामदास, रामनेवाजदास, विनय कुमार पांडेय, अनिल कुमार पांडेय, पुजारी प्रेमकुमार शुक्ल, अभिलाष शुक्ल, अभिषेक शुक्ल, अजय कुमार तिवारी आदि सक्रिय रहे। -------------------- लवकुश मंदिर में बयां हुई राम और शिव की अभिन्नता -रामलला के दर्शन मार्ग पर स्थित लवकुश मंदिर भगवान राम एवं भोलेबाबा की अभिन्नता का संवाहक है। सावन के दूसरे सोमवार के मौके पर अभिन्नता की आभा शिद्दत से चमकी। मंदिर के केंद्रीय गर्भगृह में भगवान राम एवं सीता, दाहिनी ओर मां बगलामुखी एवं बाईं ओर द्वादश ज्योतिर्लिंग के साथ स्फटिक के ज्योतिर्लिंग का विग्रह सामान्य दिनों में भी दर्शनार्थियों के लिए लुभावन होता है, पर सावन के सोमवार की छटा निराली थी। शुरुआत दूध-दही एवं सरयू जल से बाबा के विग्रह के सहस्त्रधारा स्नान से हुई। आचार्य आदित्यनारायण एवं कई अन्य वैदिक आचार्यों के मार्गदर्शन में बाबा के अभिषेक का क्रम करीब तीन घंटे तक चला। पूरी तन्मयता से अनुष्ठान संयोजन में जुटे महंत रामकेवलदास ने सावन में शिव की भक्ति के साथ भगवान राम और शिव की अभिन्नता प्रतिपादित की। रामनामी से सज्जित हुए भोले के भक्त

- युवा भाजपा नेता आकाशमणि ने मणिरामदासजी की छावनी के समीप सहयोगियों के साथ सावन के दूसरे सोमवार को उमड़े भोले के भक्तों को रामनामी प्रदान की। उन्होंने कहा, भोले के भक्तों का रामनगरी में स्वागत है और वे अपने साथ रामनामी लेकर लौटें, ताकि भोले बाबा और भगवान राम की अभिन्नता का रंग अमिट बना रहे।

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