राम मंदिर निर्माण के लिए संतों ने खोली झोली
अभियान की शुरुआत से ही निधि समर्पण को आगे आये संत. अनेक धर्माचार्यों ने एक लाख या उससे अधिक का सहयोग दे जगायी संभावना
अयोध्या : रामजन्मभूमि पर मंदिर निर्माण के लिए शुक्रवार से शुरू निधि समर्पण अभियान 27 फरवरी तक चलेगा, पर शुरुआत से ही रामनगरी के संत अपनी झोली खोलते प्रतीत हो रहे हैं। मात्र दो दिनों में ही ऐसे कई संत सामने आये हैं, जिन्होंने मोटी रकम देकर श्रीराम के प्रति अपनी आस्था व्यक्त की है। उदासीन संप्रदाय की प्रधान पीठ उदासीन ऋषि आश्रम- रानोपाली के युवा महंत डॉ. भरतदास ने एक लाख 11 हजार रुपये की निधि समर्पित की। ..तो कई अन्य महंत भी पीछे नहीं रहे। आचार्य पीठ तिवारी मंदिर के महंत गिरीशपति त्रिपाठी ने भी एक लाख की राशि समर्पित कर बताया कि संत लेना ही नहीं, देना भी जानते हैं। इस सच्चाई की तस्दीक पौराणिक महत्व की पीठ नाका हनुमानगढ़ी के महंत रामदास से भी हुई। उन्होंने भी मंदिर निर्माण के लिए एक लाख का चेक प्रदान किया। रामानुज परंपरा की शीर्ष पीठ तोताद्रि मठ के आचार्य जगद्गुरु स्वामी अनंताचार्य ने न केवल मंदिर निर्माण के लिए अधिकाधिक सहयोग का आह्वान किया, बल्कि स्वयं भी एक लाख की निधि समर्पित की। उन्हीं के साथ ही रामानुज परंपरा के एक अन्य जगद्गुरु एवं प्रख्यात कथाव्यास डॉ. राघवाचार्य ने भी 51 हजार की निधि समर्पित की। इन संतों ने यह राशि अलग-अलग निधि समर्पण शिविरों में समर्पित की, पर उनकी भाषा एक ही थी। वह यह कि श्रीराम हमारे प्राण धन हैं और उनकी जन्मभूमि पर जिस मंदिर के लिए शताब्दियों से प्रतीक्षा होती रही, उसकी भव्यता में कोई कसर नहीं रहनी चाहिए। अयोध्या के ही संतों से एक करोड़ से अधिक सहयोग का अनुमान
- सच्चाई तो यह है कि यह शुरुआत भर है, राम मंदिर के प्रति संतों का उत्साह, उनकी प्रतिबद्धता और सामर्थ्य को देखते हुए अनुमान लगाया जाता है कि मंदिर निर्माण के लिए अकेले रामनगरी के ही संतों का सहयोग एक करोड़ से ऊपर होगा। निधि समर्पण अभियान के प्रभारी धीरेश्वर वर्मा के अनुसार रामनगरी के तकरीबन सभी संत मंदिर निर्माण में सहयोग के लिए उत्सुक हैं। कुछ प्रमुख धर्माचार्यों को रामजन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के महासचिव चंपतराय के अयोध्या आने की प्रतीक्षा है और वे उन्हीं के हाथों में मंदिर के लिए निधि समर्पण का चेक सौंपना चाहते हैं।