रूरल हाट के रूप में विकसित होगा तमसा उद्गम स्थल

10 लाख की लागत से बनेगा हाट नौ लाख रुपये नाबार्ड व एक लाख रुपये ग्राम पंचायत करेगी खर्च

By JagranEdited By: Publish:Tue, 29 Sep 2020 11:18 PM (IST) Updated:Wed, 30 Sep 2020 05:09 AM (IST)
रूरल हाट के रूप में विकसित होगा तमसा उद्गम स्थल
रूरल हाट के रूप में विकसित होगा तमसा उद्गम स्थल

अयोध्या : त्रेतायुगीन तमसा को नवजीवन मिला है। अब तमसा तीरे रहने वाले किसानों की आमदनी भी बढ़ेगी। इसके उद्गम स्थल बसौढ़ी को रूरल हाट के रूप में विकसित किया जाएगा। ऐसे में किसानों को कृषि उत्पाद बेचने में आसानी होगी।

बसौढ़ी गांव में तमसा तट पर कई दशक पुरानी बाजार लगती है। बुधवार व शुक्रवार को लगने वाली बड़ी साप्ताहिक बाजार में दूर-दूर से ग्राहक आते हैं। यहां आसपास गांवों के किसान सब्जी उत्पादक है। सब्जियों के उत्पादन के लिए यहां की मिट्टी काफी मुफीद मानी जाती है। तमसा नदी में अविरल जल प्रवाह से अब सिचाई का संकट भी खत्म हो गया। इस रूरल हाट को विकसित करने के लिए नौ लाख रुपये नाबार्ड व एक लाख रुपये ग्राम पंचायत से खर्च होंगे। नाबार्ड अनुदान के रूप में धनराशि देगा। टिन शेड व दुकानों के सामने मार्ग निर्माण मनरेगा से किया जाएगा। मनरेगा के तकनीकी सहायक आशीष तिवारी ने बताया कि हाट में होने वाले कार्य का स्टीमेट बन गया है। बसौढ़ी बाजार में सामुदायिक शौचालय निर्माणाधीन है। यहां पर सामुदायिक शौचालय का लाभ किसान, सब्जी उत्पादक व ग्राहक उठा सकेंगे। बीडीओ मोनिका पाठक ने बताया कि डीएम व सीडीओ के निर्देश पर बाजार को विकसित किया जाना प्रस्तावित है। रूरल हाट विकसित होने से तमसा का महत्व और बढ़ेगा। क्या है रूरल हाट

खेती को लाभदायक बनाने के लिए कई नए प्रयोग हो रहे हैं। उन्हीं में एक है रूरल हाट की अवधारणा, जहां किसानों को अपनी उपज बेचने के लिए बाजार उपलब्ध कराया जाना है। नेशनल बैंक फॉर एग्रीकल्चर एंड रूरल डेवलपमेंट (नाबार्ड) की ओर से मवई ब्लॉक के बसौढ़ी में पहले रूरल हाट की स्थापना होगी। यहां से किसानों को अपना उत्पाद व्यापारियों और उपभोक्ताओं को बेचने में सुविधा होगी। किसान यहां सब्जी, अनाज और डेयरी उत्पाद बेच सकेंगे।

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