राम मंदिर के साथ सज्जित हो रहा रामनगरी का आत्माभिमान

गत वर्ष पांच अगस्त को प्रधानमंत्री ने भूमि पूजन के साथ किया था उत्कर्ष यात्रा का सूत्रपात

By JagranEdited By: Publish:Wed, 04 Aug 2021 01:04 AM (IST) Updated:Wed, 04 Aug 2021 01:04 AM (IST)
राम मंदिर के साथ सज्जित हो रहा रामनगरी का आत्माभिमान
राम मंदिर के साथ सज्जित हो रहा रामनगरी का आत्माभिमान

अयोध्या (रघुवरशरण): रामजन्मभूमि पर मंदिर निर्माण के साथ रामनगरी का आत्माभिमान सज्जित हो रहा है। इस उत्कर्ष यात्रा का सूत्रपात गत वर्ष पांच अगस्त को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने राम मंदिर की आधारशिला रखने के साथ किया था। गुरुवार को इस उत्कर्ष यात्रा का एक वर्ष पूर्ण हो रहा है। इस बीच न केवल मंदिर निर्माण की दिशा में उल्लेखनीय प्रगति हुई है, बल्कि भव्य राम मंदिर के साथ दिव्य अयोध्या की परिकल्पना भी आकार लेने लगी है। यह बदलाव उन लोगों के लिए स्वर्णिम सौगात से भी बढ़ कर है, जिन्होंने श्रीराम और उनकी नगरी के अपमान-अवमान के एक-एक दिन एक-एक युग की तरह काटे हैं और जिन्हें 491 वर्ष पुराने राम मंदिर विवाद के रूप में पीढि़यों से व्यथा की विरासत मिलती रही। कोई शक नहीं कि रामजन्मभूमि मुक्ति की अभिलाषा गहन प्रतिकूलताओं के बावजूद सदियों के सफर में अक्षुण्ण रही, कितु यह अभिलाषा किस तरह और किस रूप में आकार लेगी, इसका कोई ब्लूप्रिट नहीं था। रामजन्मभूमि के लिए मध्ययुगीन तौर-तरीकों के अनुरूप सतत युद्ध हुए और लाखों रामभक्तों ने बलिदान दिया। ..तो रामजन्मभूमि की बिसात पर ब्रिटिश हुक्मरान भी अपनी सुविधा के हिसाब से मोहरे चलते रहे, कितु रामभक्तों के लिए न्याय मृग मरीचिका ही बना रहा। 1947 में देश की आजादी के साथ रामजन्मभूमि की आजादी की भी आकांक्षा ने नई करवट ली, कितु यह आकांक्षा कोर्ट-कचहरी में उलझ कर घुटती रही। साढ़े तीन दशक पूर्व विहिप ने इस आकांक्षा को जनांदोलन के रूप में रोशन किया। यह आंदोलन अनेक निर्णायक पड़ावों से गुजरा और आंदोलन को अंजाम तक पहुंचाने के लिए अनेक रामभक्तों ने प्राणों की आहुति दी। हालांकि यह अभियान भी अंजाम तक पहुंचने से पूर्व ही ठिठक गया और दारोमदार उसी न्यायिक प्रक्रिया पर आकर टिक गया। अंतत: न्यायालय से न्याय पाने का चिर अपेक्षित सूत्र सफल हुआ। रामभक्तों ने न्यायालय के प्रति आभार ज्ञापित करने के साथ इसे श्रीराम की ही कृपा-कृति के रूप में शिरोधार्य किया। हालांकि इस निर्णय के बाद भी उन्हें राम मंदिर और रामनगरी के लिए प्रस्तावित उस भव्यता-दिव्यता का अनुमान नहीं था, जिसे फलीभूत करने के लिए रामजन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट सहित केंद्र एवं प्रदेश की भाजपा सरकारें आगे आईं। विहिप ने जरूर मंदिर का मानचित्र पहले से तैयार कर रखा था, कितु निर्माण शुरू होने की बेला तक यह मानचित्र छोटा प्रतीत होने लगा और आज जिस मंदिर का निर्माण हो रहा है, वह उस मानक से करीब पौने दो गुना बड़ा है तथा उसके शिखर की ऊंचाई भी पूर्व मानचित्र से 33 फीट अधिक है। भूमि पूजन के ही वक्त प्रधानमंत्री के उद्बोधन से यह भी साफ हो गया कि रामजन्मभूमि पर मंदिर का निर्माण किस उत्साह और भावना से स्फुरित है तथा यह वस्तुत: राष्ट्र मंदिर का प्रतिनिधित्व करने वाला है।

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महान विरासत से प्रेरित होने और उसे सहेजने का उत्सवबोध

- जगद्गुरु रामानुजाचार्य स्वामी रामदिनेशाचार्य के अनुसार मंदिर का निर्माण दुनिया के सामने अपूर्व मिसाल है और यह भावी पीढि़यों को प्रेरित करता रहेगा कि बेहद जटिल विवाद का 2019 में सर्व स्वीकार्य पटाक्षेप हुआ। शीर्ष पीठ रामवल्लभाकुंज के अधिकारी राजकुमारदास कहते हैं, श्रीराम और राम मंदिर के साथ रामलला के पक्ष में आया सुप्रीमकोर्ट का निर्णय भी किसी महान विरासत से कम नहीं है और हम इस विरासत को पूरी निष्ठा से सहेज भी रहे हैं। न्यायालय में राम मंदिर की पैरोकारी से जुड़े रहे नाका हनुमानगढ़ी के महंत रामदास कहते हैं, इसी निर्णय के चलते गत वर्ष प्रधानमंत्री ने मंदिर की आधारशिला रखी और तभी से भव्य मंदिर के साथ दिव्य अयोध्या का स्वप्न साकार हो रहा है। वशिष्ठभवन के महंत डॉ. राघवेशदास का मानना है कि यह उस मनुष्यता को जाग्रत करने की संभावना का भी महापर्व है, जिसके संवाहक स्वयं श्रीराम हैं।

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