भगवान जिसे स्पर्श कर दें, उसका उत्थान हो जाता है: मिथिलेश नंदिनी शरण
भगवान के नाम का स्मरण जब भवसिधु से पार लगा देता है ऐसे में प्रभु श्रीराम जिसका स्पर्श कर दें उसका उत्थान सुनिश्चित है। वह चाहे जड़ ही क्यों ना हो। धनुष यज्ञ की कथा का यही संकेत है। गुप्तारघाट स्थित श्रीअनादि पंचमुखी महादेव मंदिर परिसर में चल रही रामकथा के तीसरे और अंतिम दिन यह बातें आचार्य मिथिलेशनंदिनी शरण ने कहीं।
अयोध्या: भगवान के नाम का स्मरण जब भवसिधु से पार लगा देता है, ऐसे में प्रभु श्रीराम जिसका स्पर्श कर दें, उसका उत्थान सुनिश्चित है। वह चाहे जड़ ही क्यों ना हो। धनुष यज्ञ की कथा का यही संकेत है। गुप्तारघाट स्थित श्रीअनादि पंचमुखी महादेव मंदिर परिसर में चल रही रामकथा के तीसरे और अंतिम दिन यह बातें आचार्य मिथिलेशनंदिनी शरण ने कहीं। उन्होंने कहा कि धनुष यज्ञ में भगवान श्रीराम शिव धनुष को इसलिए नहीं उठाते हैं कि उन्हें जानकी जी से विवाह करना है। भगवान शिव उनके आराध्य हैं। वह तो अपने आतिथ्य करने वाले विदेह महाराज जनक की व्यथा हरने के लिए धनुष उठाते हैं। उसे भंग करने का भी उनका हेतु नहीं है। वह तो ब्रह्मर्षि विश्वामित्र मुनि की आज्ञा उठऊ राम भंजऊ भव चापा का पालन करने के लिए धनुष उठाते है। भगवान की एक-एक लीला के, एक-एक कार्य के अनेक हेतु हैं।
आचार्यश्री ने कहा कि रामायण की एक-एक घटना हमारे जीवन को शिक्षित करती है। धनुष यज्ञ में अनेक राजा आए, उनके रुकने-टिकने की व्यवस्था है। मुनि विश्वामित्र के संग होने से भगवान राम और अनुज लक्ष्मण के लिए विलक्षण व्यवस्था होती है। भगवान राम परमब्रह्म के साकार स्वरूप हैं। उन्हें देख कर इसलिए जनक जी भावविह्वल होकर ब्रह्मसुख भी त्याग देते हैं। क्योंकि भगवान का यह स्वरूप अत्यंत सुखदाई है, जो इंद्रीय और अतिद्रीय दोनों सुख की अनुभूति करा रहा है। भगवान के जिन चित्रों को हम देखते हैं, वह मानवीय चेतना का स्वरूप हैं। वास्तव में भगवान के अनूप रूप को देखने की सामर्थ्य सबमें नहीं है। स्वयं जगदंबा जानकी जी पुष्प वाटिका में उनके दर्शन कर पलकें बंद कर लेती हैं। स्वयं पार्वती जी उन्हें सखी बन कर भगवान के दर्शन की प्रेरणा देती हैं। यह प्रकृति से पुरुष के मिलन का अद्भुत प्रसंग है। पुष्प वाटिका में इस अद्भुत संयोग का संयोग उपस्थित है। गोस्वामी जी ने रामकथा के माध्यम से कई मर्यादाएं भी परिभाषित की हैं। यह गुरुता क्रम भी निर्धारित किया है।
कथा में श्रीरामजन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के महासचिव चंपतराय, सदस्य डा. अनिल मिश्रा, विश्व हिदू परिषद के प्रवक्ता शरद शर्मा, भाजपा के पूर्व जिलाध्यक्ष अवधेश पांडेय बादल, डा. जनार्दन उपाध्याय, संगीत गुरु पंडित देव प्रसाद पांडेय, आचार्य लवलेश आदि गणमान्य उपस्थित थे।