पंचायत चुनाव में लगा इंटरनेट मीडिया का तड़का
हाईटेक होगा इस बार का पंचायत चुनाव. होर्डिंग बैनर व पोस्टर से सजने लगी ग्राम पंचायतें
संसू, रुदौली (अयोध्या) : त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव की भले ही अभी अधिसूचना न जारी हुई हो लेकिन सुगबुगाहट के बीच गांवों में प्रचार शुरू है। प्रचार के आगाज से लगता है कि इस बार का पंचायत चुनाव हाईटेक होगा। ज्यों- ज्यों चुनाव की प्रक्रिया तेज होगी वैसे- वैसे यह हाईटेक होता जाएगा। दावेदारों को सीटों के आरक्षण का इंतजार है। रुदौली में 97 व मवई ब्लॉक में 55 ग्राम पंचायतें हैं। इन गांवों में पहली बार त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव की धमक इंटरनेट मीडिया पर देखने को मिल रही है। ग्राम प्रधान से लेकर जिला पंचायत सदस्य तक के दावेदार इंटरनेट मीडिया का इस्तेमाल कर रहे हैं। इतना ही नहीं होर्डिंग व बैनर का भी इस बार ज्यादा प्रयोग हो रहा है। आमतौर पर ग्राम प्रधान पद के उम्मीदवार इसका प्रयोग नहीं करते थे। इस बार के चुनाव में संभावित उम्मीदवार व उनके समर्थकों ने बड़े-बड़े होर्डिंग व बैनर लगा दिए हैं। दावेदार व उनके समर्थक फेसबुक व वाट्सएप पर प्रचार करने में लगे हैं। आरक्षण की स्थिति एक नजर में
रुदौली की 97 ग्राम पंचायतों में से आठ महिला व 14 पुरुष (अनुसूचित जाति), नौ महिला व 17 पुरुष (पिछड़ी जाति),16 महिला व 33 अनारक्षित ग्राम पंचायतें हैं। मवई की 55 ग्राम पंचायतों में से पांच महिला व आठ पुरुष (अनुसूचित जाति),पांच महिला व 10 पुरुष (पिछड़ा जाति) 9 महिला व 18 अनारक्षित हैं।
आरक्षण संबंधी शासनादेश ने दावेदारों की बढ़ाई बेचैनी
रुदौली (अयोध्या): त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव में आरक्षण संबंधी शासनादेश के बाद गांवों में प्रधानी चुनाव की तैयारी करने वाले एवं उनके समर्थकों में बेचैनी बढ़ गई है। जिला मुख्यालय से लेकर ब्लॉक कार्यालय के अधिकारियों और नेताओं से अपने-अपने गांव में प्रधान पद के आरक्षण की टोह लेने में लगे हैं। सब यही जानना चाहते हैं कि उनके गांव में प्रधानी का पद किस श्रेणी में होगा। राजनीति और गांव में प्रतिष्ठा के हिसाब से प्रधान का पद का महत्व बताने की जरूरत नहीं है। क्षेत्रीय राजनीति में भी इसकी बड़ी भूमिका होती है। इसके चलते सभी दलों के नेता क्षेत्र में अपने अधिक से अधिक प्रधानों को जिताना चाहते हैं, जिससे वे विधानसभा से लेकर लोकसभा चुनाव तक में अपनी पार्टी के लिए जनसमर्थन जुटा सकें।