रामनगरी ने हौले से किया नव संवत्सर का आलिगन
कोरोना संक्रमण की चुनौती के बीच रामनगरी ने नव संवत्सर
अयोध्या : कोरोना संक्रमण की चुनौती के बीच रामनगरी ने नव संवत्सर का आलिगन हौले से किया। केंद्र एवं प्रदेश में रामभक्तों की सरकार और नौ नवंबर 2019 को रामलला के हक में आए सुप्रीम फैसले से रामनगरी की उत्सवधर्मिता एवं पारंपरिक गौरवबोध निरंतर आरोह का शिखर स्पर्श करता रहा है। ऐसे में सांस्कृतिक अस्मिता का मर्म परिभाषित करने वाला विक्रम संवत केंद्र में रहा है। इस अवधि में मंदिरों के पारंपरिक आयोजनों के अलावा सांस्कृतिक क्षेत्र के जिम्मेदार लोग आगे आए और उन्होंने नव संवत का निहितार्थ समझाते हुए भारतीय नव वर्ष के स्वागत को अभियान की तरह आगे बढ़ाया।
अविवि के तत्कालीन कुलपति आचार्य मनोज दीक्षित इस दिशा में अग्रणी रहे। इस बीच सेवामुक्त होने के साथ आचार्य मनोज दीक्षित का रामनगरी से रिश्ता ठंडा पड़ा, तो मौजूदा संवत्सर के स्वागत की बेला में कोरोना संक्रमण की चुनौती भी नव संवत के स्वागत के जोश पर पानी फेरने वाली रही। गुरु वशिष्ठ फाउंडेशन के अध्यक्ष एवं तिवारी मंदिर के महंत गिरीशपति त्रिपाठी ने गिनती के कुछ सहयोगियों के साथ नव संवत के उग रहे सूर्य को सरयू जल से अर्घ्य दिया। उन्होंने कहा, महान भारतीय मूल्यों और संस्कृति का परिचायक विक्रमी संवत अपूर्व पराक्रम और सद्संकल्पों का प्रेरक है। हम सभी नव संवत के साथ प्रेरित भी हो रहे हैं। उन्होंने विश्वास जताया कि कोरोना जैसे गंभीर संकट से उबर कर हम आगामी नव संवत्सर तक पूरी तरह से तैयार होंगे और इस अवसर की खुशी से पूरा न्याय कर सकेंगे।
मंदिरों में भी नव संवत्सर का स्वागत कोरोना से बचाव के बीच किया गया। गहमा-गहमी के विपरीत मंदिरों के नवाह्न पारायण में निर्धारित संख्या में पाठ करने वाले श्रद्धालु और व्यवस्था में लगे गिनती के संत-महंत ही शामिल हुए। ..तो यह भी हुआ कि जिन मंदिरों के सामूहिक पाठ में सौ श्रद्धालु होते थे, वहां 50 से ही काम चलाया गया और जहां 50 होते थे, वहां 21 श्रद्धालु ही पाठ में शामिल हो सके। निष्काम सेवा ट्रस्ट के व्यवस्थापक महंत रामचंद्रदास कहते हैं, श्रद्धालुओं का आना न आ पाना अपनी जगह है, पर हम नवरात्र की पवित्र बेला में परंपरा के प्रति समर्पित हैं और जिन श्रीराम की भक्ति का यह अनुष्ठान है, उन्हीं की कृपा और प्रेरणा कोरोना संकट से मुक्त करेगी तथा अयोध्या पुन: भक्ति की उत्सवधर्मिता के साथ आगे बढ़ सकेगी। इस बीच कनकभवन, मणिरामदास जी की छावनी, दशरथमहल, रामवल्लभाकुंज, लक्ष्मणिकला, जानकीमहल जैसे मंदिर आस्था के केंद्र में रहे। स्थानीय संत-महंत एवं श्रद्धालु ही रहे मौजूद
चैत्र शुक्ल प्रतिपदा से शुरू नव संवत का स्वागत का शिखर यद्यपि चैत्र शुक्ल नवमी को पड़ने वाले राम जन्मोत्सव से प्रतिपादित होता रहा है, पर इसकी झलक प्रतिपदा से मिलने लगती थी। मंदिरों में रामचरितमानस के नवाह्न पारायण की शुरुआत की बेला में भी मजे की संख्या में श्रद्धालु एकत्रित होते थे, पर इस बार स्थानीय संत-महंत एवं श्रद्धालु ही मौजूद रहे। गत सप्ताह से कोरोना संक्रमण का संकट गहराने के साथ ही रामनगरी में श्रद्धालुओं के आगमन का सिलसिला थमता जा रहा है। देवी मंदिरों की ओर उमड़े श्रद्धालु
- नवरात्र के पहले दिन से ही देवी मंदिरों की ओर श्रद्धालु उमड़े। हालांकि कोरोना संक्रमण से उपजे संकट का असर देवी मंदिरों में भी दिखाई पड़ा। श्रद्धालु आपस में दूरी बनाने की कोशिश करते दिखे, तो संक्रमण से बचाव के लिए प्रसाद आदान-प्रदान के प्रति सजगता बरती गई। बड़ी देवकाली, छोटी देवकाली, मां पाटेश्वरी देवी मंदिर, जालपा देवी मंदिर जैसे शक्ति उपासना के जिन केंद्रों पर बड़ी भीड़ उमड़ती थी, वहां श्रद्धालु तो थे पर भीड़ और गहमा-गहमी नदारद थी।