आस्था के साथ पिकनिक-पर्यटन से भी है रामनगरी का गहरा नाता

सप्तपुरियों में अग्रणी अयोध्या त्रेतायुगीन सांस्कृतिक विरासत के साथ पिकनिक-पर्यटन के क्षितिज पर बड़ी संभावना प्रशस्त करती रही है। अब जब राममंदिर निर्माण के साथ भव्य अयोध्या बनाने की तैयारी चल रही है तब यह संभावना भी परवान चढ़ने को है। पुण्य सलिला सरयू का लंबा किनारा और हजारों मंदिरों से युक्त नगरी में पिकनिक मनाने के भी अनेक स्थल हैं।

By JagranEdited By: Publish:Thu, 17 Jun 2021 11:11 PM (IST) Updated:Thu, 17 Jun 2021 11:11 PM (IST)
आस्था के साथ पिकनिक-पर्यटन से भी है रामनगरी का गहरा नाता
आस्था के साथ पिकनिक-पर्यटन से भी है रामनगरी का गहरा नाता

नवनीत श्रीवास्तव, अयोध्या

सप्तपुरियों में अग्रणी अयोध्या त्रेतायुगीन सांस्कृतिक विरासत के साथ पिकनिक-पर्यटन के क्षितिज पर बड़ी संभावना प्रशस्त करती रही है। अब जब राममंदिर निर्माण के साथ भव्य अयोध्या बनाने की तैयारी चल रही है, तब यह संभावना भी परवान चढ़ने को है। पुण्य सलिला सरयू का लंबा किनारा और हजारों मंदिरों से युक्त नगरी में पिकनिक मनाने के भी अनेक स्थल हैं। एक अनुमान के मुताबिक रामनगरी आने वालों में श्रद्धालुओं एवं पर्यटकों के अतिरिक्त घर-परिवार सहित पिकनिक मनाने वालों की बड़ी संख्या रहती है। सिर्फ अयोध्या ही नहीं, बल्कि रामनगरी से सटे क्षेत्रों में भी पिकनिक मनाने के अनेक स्थल हैं, जो लोगों के बीच आकर्षण का केंद्र रहे हैं। अयोध्या में जहां राममंदिर के साथ कनक भवन, हनुमानगढ़ी, नागेश्वरनाथ, क्षीरेश्वरनाथ, छोटी देवकाली, बड़ी देवकाली, दशरथ महल, अमावा राममंदिर समेत अनेक मंदिर हैं, तो दूसरी ओर गुप्तारघाट, कंपनी गार्डेन जैसे अनेक पिकनिक स्पॉट भी। विश्व पिकनिक दिवस पर आप भी अयोध्या के इन स्थलों के बारे में जानें-

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गुप्तारघाट

ऐसी मान्यता है कि भगवान राम गुप्तारघाट से ही अपने धाम को गए थे। गुप्तारघाट की प्राचीनता-पौराणिकता का एहसास यहां चंद पल गुजारने पर ही हो जाता है। कोरोना काल से पहले तक सूर्योदय और सूर्यास्त देखने के लिए गुप्तारघाट पर हजारों लोगों का जमावड़ा होता था। हालांकि, कोरोना की दूसरी लहर थमने के बाद अब लोगों का आना फिर से आरंभ हो गया है।

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भरतकुंड

अयोध्या से करीब 10 किलोमीटर दूर प्रयागराज हाइवे पर भरतकुंड है, जहां भगवान राम के वनवास के दौरान उनके अनुज भरत ने तपस्यारत रह कर अयोध्या का राजकाज संभाला था। भरतकुंड में भरतजी के तप का प्रवाह आज भी महसूस किया जा सकता है। यहीं पर प्राचीन कुआं भी हैं। माना जाता है कि इस कुएं में 27 तीर्थों का जल है। यहीं गयावेदी पर भगवान विष्णु के दाएं पैर का चिह्न है, जहां पितृपक्ष में हजारों की संख्या में श्रद्धालु अपने पूर्वजों को पिडदान करने आते हैं। यह स्थल भरत की त्याग-तपस्या का परिचायक होने के साथ विशाल सरोवर के साथ पर्यटकों को भी आकृष्ट करता है।

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बाग-बगीचे और दुर्लभ वृक्षों से युक्त पंचमुखी उद्यान

अयोध्या में एक नहीं, बल्कि अनेक ऐसे बाग-बगीचे हैं, जो पिकनिक मनाने वालों के बीच बेहद लोकप्रिय हैं। इनमें पंचमुखी उद्यान तो दुर्लभ वृक्षों से आच्छादित है। बोगान लीची का पेड़ पंचमुखी उद्यान में लगा है। यह लीची की दक्षिण भारतीय प्रजाति है। इसमें जुलाई-अगस्त माह में फल आते हैं, जबकि करीब डेढ़ सौ साल पुराना शमी का वृक्ष भी है। इसके साथ ही त्रिफला के तीनों घटक, रुद्राक्ष, कपूर, शरीफा, शहतूत, चीकू, गुलाचीन अश्रगंधा, सर्पगंधा, चंदन आदि पौधों से आच्छादित इस उद्यान में कदम रखते ही पर्यावरणीय शुद्धता का एहसास होता है। पंचमुखी के अतिरिक्त कंपनी गार्डेन, राजघाट उद्यान, शहीद उद्यान, गुलाबबाड़ी, राजद्वार उद्यान, तुलसी उद्यान, पंचमुखी उद्यान आदि हैं।

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नवाबों की पुरानी राजधानी

अयोध्या नवाबों की पुरानी राजधानी भी रह चुकी है। सन 1731 में तत्कालीन मुगल बादशाह मुहम्मद शाह ने अवध सूबे को नियंत्रित करने का दायित्व अपने शिया दीवान सआदत खां को सौंपा। उन्होंने अपना डेरा रामनगरी में ही सरयू तट पर डाला। अवध के दूसरे नवाब मंसूर अली और शुजाउद्दौला के समय राजधानी के तौर पर रामनगरी से कुछ ही दूरी पर फैजाबाद शहर आबाद हुआ। 1775 में शुजाउद्दौला की मृत्यु के बाद चौथे नवाब आसफुद्दौला ने फैजाबाद से अपनी राजधानी लखनऊ स्थानांतरित की। नवाबों की स्थापत्य कला के शानदार उदाहरण के रूप में शुजाउदौला का मकबरा, उनकी पत्नी बहू बेगम का मकबरा एवं शाही दरवाजे अभी भी नवाबों के दौर की याद दिलाते हैं।

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राम की पैड़ी व सरयू तट

सरयू का सुरम्य किनारा हर किसी को मोह लेता है। पिकनिक मनाने के लिए फैजाबाद नगर में जहां गुप्तारघाट है तो अयोध्या नगर में राम की पैड़ी और नयाघाट। दीपोत्सव के मौके पर तो राम की पैड़ी की छटा की अलग होती है, जिसे देखने के लिए आसपास के जिलों से भी लोगों का आना होता है। इसके साथ ही सरयू के किनारे प्रवासी पक्षियों का भी आसरा बनते हैं।

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