लाकडाउन के बावजूद रामनगरी में रोशन है आस्था
लाकडाउन के चलते जहां सब कुछ सिमट कर रह गया है
अयोध्या : लाकडाउन के चलते जहां सब कुछ सिमट कर रह गया है, तब भी पुण्य सलिला सरयू की नित्य महा आरती का क्रम निर्बाध है। गत आठ वर्षों से ऐसी कोई शाम नहीं हुई, जब रामनगरी के सहस्त्रधारा घाट पर सहस्स्त्र दीपों से पुण्य सलिला सरयू की आरती न हुई हो। आस्था की यह विरासत संकट के बावजूद बुलंद हो रही है। इसके पीछे पुण्यसलिला के प्रति गहन अनुराग है।
इसी अनुराग के चलते रामलीला की परंपरा के आचार्य जयरामदास के शिष्य महंत शशिकांतदास ने सन 2013, चैत्र शुक्ल तृतीया के दिन पुण्य सलिला की 1051 दीपों से नित्य महा आरती का क्रम शुरू किया था। आज तो हजारों दीपों के लिए घी-रुई, विशद पूजन-अर्चन की सामग्री, भोग-प्रसाद और अर्चकों का व्यय मिलाकर तीन हजार रुपये से अधिक हो जाता है, कितु शुरुआत में 15 सौ से दो हजार रुपये में नित्य की महाआरती संभव थी। हालांकि नित्य यह व्यय किसी अकेले के बूते की बात नहीं थी। पुण्य सलिला की नित्य महाआरती शशिकांतदास की भी परीक्षा ले रही थी। शुरू में उम्मीद थी कि सहयोगी आसानी से मिलेंगे और महा आरती के व्यय का प्रबंध कुछ कठिनाई के साथ संभव हो पाएगा, कितु कठिनाई अपेक्षा से काफी अधिक साबित हुई। इक्का-दुक्का सहयोगियों ने जरूर दृढ़ता दिखाई, पर व्यापक जरूरत के आगे उनका सहयोग नगण्य था।
महंत शशिकांत दास को महा आरती के लिए अपनी जमा पूंजी गंवाने के साथ घर में रखे गहने तक गिरवी रखने तक को मजबूर होना पड़ा। कहते हैं, मेहंदी रंग लाती है पत्थर पर घिसने के बाद। कुछ इसी तरह का संयोग शशिकांतदास के साथ भी घटित हुआ और उनका प्रयास भी रंग लाने लगा। इसी दौर में तत्कालीन जिलाधिकारी एवं बाद में मंडलायुक्त रहे विपिनकुमार द्विवेदी नित्य महा आरती के प्रमुख सहयोगी बनकर आए आगे आए। इसके बाद तो शशिकांतदास को पीछे मुड़कर देखने की जरूरत नहीं पड़ी। अति भव्यता के साथ सरयू की नित्य पूजा और महा आरती का उनका संकल्प निरंतर आगे बढ़ता गया।
पुण्य सलिला के प्रति अनुराग की मिसाल कायम करता उनका प्रयास मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को भी प्रभावित करने वाला रहा। उन्होंने सन 2018 में महंत शशिकांतदास के संयोजन में चलने वाली नित्य महाआरती के अलावा एक अन्य महाआरती करने वाली संस्था के लिए शासकीय सहयोग सुनिश्चित किया। गत वर्ष से कोरोना संकट के साथ जब सार्वजनिक आयोजनों पर संकट के बादल मंडरा रहे हैं, तब भी पुण्यसलिला की नित्य महाआरती पूरे विधि-विधान से होती है। मंत्रोच्चार के बीच आधा दर्जन अर्चक कतारबद्ध हो 20 मिनट तक पुण्य सलिला की आरती से भगवान श्री हरि की अश्रु धारा मानी जाने वाली सरयू को रिझाने के साथ सामने वाले को विभोर करते हैं। हालांकि कोरोना के संक्रमण काल में आरती में श्रद्धालुओं के शामिल होने पर पूरी सख्ती से रोक लगा रखी गई है।