नर्सिग होम संचालकों के सामने लाइसेंस नवीनीकरण का संकट
जिले की जनता को कोरोना संक्रमण से बचाने व उसके
अयोध्या: जिले की जनता को कोरोना संक्रमण से बचाने व उसके फैलाव को रोकने के लिए 23 मार्च 2020 को डीएम व सीएमओ ने नर्सिंग होम का संचालन बंद करवा दिया था। इमरजेंसी सेवा के लिए सिर्फ 16 अस्पतालों को ही अनुमति दी गयी थी। करीब सौ क्लीनिक व नर्सिंग होम सात माह तक बंद थे। इन अस्पतालों के संचालकों के सामने अब बायोवेस्ट का प्रमाणपत्र न मिलने से लाइसेंस नवीनीकरण का संकट खड़ा हो गया है। प्रमाण पत्र के लिए संस्था हजारों रुपये की मांग कर रही है।
सीएमओ कार्यालय के रिकार्ड को देखें तो जिले में करीब 135 अस्पतालों को लाइसेंस मिला है। उन अस्पतालों से निकलने वाले अस्पताली कचरे को उठाने का कार्य रॉयल पॉल्यूशन कंट्रोल सर्विस की तरफ से किया जा रहा है, जिसके लिए संचालकों को बेड की संख्या के आधार पर एक हजार से लेकर पांच हजार रुपये तक का शुल्क प्रति माह अदा करना पड़ता है। 12 माह का पूरा शुल्क मिलने के बाद संस्था एक वर्ष का प्रमाणपत्र देती है। उसी प्रमाण पत्र को लगाकर नर्सिंग होम व क्लीनिक के संचालक लाइसेंस का नवीनीकरण कराते हैं। अब उनसे कोरोना के समय बंदी के करीब सात माह का बगैर शुल्क जमा किये कंपनी प्रमाणपत्र देने से मना कर रही है। उसके इस रवैये से अस्पताल संचालक परेशान हैं। इंडियन मेडिकल एसोसिएशन के जिलाध्यक्ष डॉ. अफरोज खान ने बताया कि डॉ. बीके गुप्त, डॉ. एसबी सिंह, डॉ. एफबी सिंह, डॉ. सईदा रिजवी, डॉ. बीके श्रीवास्तव सहित कई अन्य चिकित्सकों ने यह समस्या रखी है। इसके लिए अधिकारियों से बात भी की गयी पर कोई ध्यान नहीं दे रहा है। बायो बेस्ट के लिए इस तरह देना पड़ता शुल्क
क्लीनिक को एक हजार, नर्सिंग होम को एक से दस बेड के लिए 15 सौ, दस से 20 बेड के लिए 25 सौ, 20 से 50 बेड के लिए 35 सौ रुपये तथा 50 से अधिक बेड के लिए पांच हजार रुपये का भुगतान करना पड़ता है।
-------- बायो वेस्ट उठाने वाली संस्था के नियमों के अनुसार ही संचालकों को भुगतान करना पड़ेगा। इसमें हमारे स्तर से कुछ भी नहीं किया जा सकता।
डॉ. घनश्याम सिंह, सीएमओ