बेघर करने वाले हाथों ने ही ताला तोड़कर महिला को घर में कराया दाखिल
खराब मौसम में 24 घंटे तक बेटियों के साथ घर के बाहर खड़ी रही विधवा महिला.शुक्रवार की देररात प्रशासनिक व पुलिस कर्मियों ने महिला को पहुंचाया घर.प्रशासनिक व्यवस्था को संवेदनहीन निर्णयों से उबरने की जरूरत.
अयोध्या : शिप्रा शुक्ला के साथ हुए प्रशासनिक बर्ताव से पूरे तंत्र पर सवाल खड़ा हो गया है। 24 घंटे तक दो मासूम बेटियों के साथ विधवा महिला घर के बाहर खड़ी रही। बरसात में अपने कुनबे के साथ वह भीगती रही और उसकी तबीयत भी खराब हो गई, लेकिन महिला पर प्रशासन को दया नहीं आई। एसडीएम सदर ज्योति सिंह ने उसे बेघर करने पर अपना निर्णय सुना दिया। करणी सेना और विश्व रामराज्य हिदू महासंघ पीड़िता की मदद को आगे आई। दैनिक जागरण ने एसडीएम के निर्णय पर सवाल खड़ा करते हुए प्रकरण को प्रमुखता से उठाया। राज्य महिला आयोग भी गंभीर हुआ तो गुरुवार की शाम शिप्रा को बेघर करने वाले प्रशासनिक हाथों ने स्वयं ताला खोलकर उसे पुन: घर में दाखिल कराया। शुक्रवार की देररात शिप्रा अपनी बेटियों के साथ विवेकानंदपुरम स्थित अपने वापस में पहुंची। प्रकरण बताता है कि प्रशासनिक व्यवस्था को संभालने वाले जिम्मेदार किरदारों को संवेदनहीनता भरे निर्णयों से अब उबरने की आवश्यकता है। एक जिम्मेदार अधिकारी के मनमाने निर्णय ने प्रशासनिक गरिमा को चोट पहुंचाई। उच्चाधिकारियों को ऐसे संवेदनहीन निर्णयों पर जवाबदेही तय करनी चाहिए, ताकि भविष्य में किसी शिप्रा के साथ ऐसी प्रशासनिक नाइंसाफी न हो। बीमार शिप्रा अपने सिर पर छत वापस पाकर थोड़ा संतुष्ट है, लेकिन उसे डर है कि कहीं फिर उसका कुनबा किसी साजिश का शिकार न हो जाए। शिप्रा का कहना है कि रात में पुलिस और प्रशासन कर्मी आए थे। उन्होंने ही ताला तोड़कर हमें घर में दाखिल कराया। नगर कोतवाल सुरेश पांडेय ने कहाकि महिला और उसके बच्चों को घर में दाखिल करा दिया गया है।