रामनगरी पहुंचे राजवीर ने पिता की अस्थियां सरयू में विसर्जित कीं

न रहते हुए भी रामभक्तों के दिल पर राज करते दिखे कल्याण सिंह

By JagranEdited By: Publish:Fri, 10 Sep 2021 12:51 AM (IST) Updated:Fri, 10 Sep 2021 12:51 AM (IST)
रामनगरी पहुंचे राजवीर ने पिता की अस्थियां सरयू में विसर्जित कीं
रामनगरी पहुंचे राजवीर ने पिता की अस्थियां सरयू में विसर्जित कीं

अयोध्या : कल्याण सिंह अपनी सुदीर्घ और गौरवपूर्ण जीवन यात्रा के दौरान विविध भूमिकाओं में रहे। दिग्गज भाजपा नेता, मुख्यमंत्री और राज्यपाल के रूप में उन्होंने अमिट छाप छोड़ी, कितु श्रीराम के प्रबल अनुरागी के तौर पर वे न रहते हुए भी रामभक्तों के दिल पर राज कर रहे हैं। इस सच्चाई की तस्दीक गुरुवार को अपराह्न सरयू तट पर हुई, जब उनके पुत्र सांसद राजवीर सिंह पत्नी-पुत्री और परिवार-कुटुंब के अन्यान्य सदस्यों, अनेक विधायकों और भाजपा नेताओं के काफिले के साथ पिता का अस्थिकलश लेकर रामनगरी पहुंचे। सरयू तट स्थित रामकी पैड़ी के प्रांगण में सैकड़ों संतों एवं महापौर रिषिकेश उपाध्याय, विधायक वेदप्रकाश गुप्त, गोरखनाथ बाबा, पड़ोस के गोंडा सदर से विधायक प्रतीक भूषण सिंह, जिला सहकारी बैंक के सभापति धर्मेंद्रप्रताप सिंह टिल्लू, जिला पंचायत अध्यक्ष रोली सिंह के प्रतिनिधि आलोक सिंह रोहित, जिला भाजपाध्यक्ष संजीव सिंह, पूर्व जिलाध्यक्ष अवधेश पांडेय बादल, महानगर अध्यक्ष अभिषेक मिश्र, महामंत्री परमानंद मिश्र, मंत्री आकाशमणि त्रिपाठी, जिला भाजपा के मीडिया प्रभारी दिवाकर सिंह, उनके सहायक अंशुमान मित्रा, वरिष्ठ भाजपा नेता मुन्ना सिंह, अमल गुप्त, दिवेश त्रिपाठी, नगर अध्यक्ष बालकृष्ण वैश्य, पूर्व नगर अध्यक्ष डॉ. राकेशमणि त्रिपाठी, जिला पंचायत के पूर्व सदस्य गिरीश पांडेय डिप्पुल, सोमिल गुप्त, भाजयुमो के महानगर अध्यक्ष रवि शर्मा, कैलाश मिश्र आदि ने कल्याण सिंह अमर रहें के गगनभेदी नारे एवं पुष्पांजलि के साथ अपने प्रेरक नेता के अस्थिकलश का इस्तकबाल किया। इस दौरान भाद्र मास के शुक्ल पक्ष की शुभ्र-क्षिप्र पुण्यसलिला सरयू से लेकर धूप-छांव से अठखेलियां करता रामनगरी का आसमान भी अपने प्रिय पात्र के अस्थिकलश का अभिनंदन करता प्रतीत हुआ। अगले कुछ पल मौन के रहे। इस मौन के बीच कइयों की आवाज खुद ब खुद जवाब दे गई और ह्रदय का भाव आंखों की कोर पर उभर आई नमी से बयां हो रहा था। कुछ पल का मौन तब टूटा, जब बोट से सरयू में राजवीर सिंह ने चुनिदा विशिष्ट जनों के साथ कलश से पिता का अस्थि अवशेष विसर्जित किया। सरयू की तेज धारा में कल्याण सिंह की अस्थियां विलीन होने में तो पल भर की भी देरी नहीं हुई, कितु प्रिय नेता की स्मृति में खोए प्रशंसकों का सैलाब स्वयं को संयत करने के लिए काफी देर तक प्रयत्न करता दिखा। विधायक वेदप्रकाश गुप्त भर्राई आवाज में 1989 के उस दौर को याद करते हैं, जब उन्होंने गुप्त को भाजपा में शामिल होने के लिए प्रेरित किया था।

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प्रिय नेता की याद में संत भी हुए व्यथित

- कल्याण सिंह के अस्थि विसर्जन के मौके पर वीतरागी माने जाने वाले धर्माचार्य भी व्यथित हुए बिना नहीं रह सके। भावांजलि के साथ उन्होंने कल्याण सिंह का वैशिष्ट्य परिभाषित किया। इनमें तिवारी मंदिर के महंत गिरीशपति त्रिपाठी, तपस्वी छावनी पीठाधीश्वर जगद्गुरु परमहंसाचार्य, आंजनेय सेवा संस्थान के अध्यक्ष महंत शशिकांतदास, हनुमानगढ़ी से जुड़े युवा महंत राजूदास, डांडिया मंदिर के महंत गिरीशदास, रामकथा मर्मज्ञ संत चंद्राशु, सुग्रीव किला के अधिकारी अनंत पद्मनाभाचार्य, महंत प्रशांतदास, सीतावल्लभकुंज के महंत छविरामदास आदि रहे।

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