प्रथम वशिष्ठ सम्मान से नवाजे जाएंगे शुक्ल

अयोध्या : 19वीं शताब्दी में अपनी आध्यात्मिक-सांस्कृतिक चेतना से चमत्कृत करने वाले तिवारी मंदिर क

By JagranEdited By: Publish:Sun, 23 Sep 2018 11:31 PM (IST) Updated:Sun, 23 Sep 2018 11:31 PM (IST)
प्रथम वशिष्ठ सम्मान से नवाजे जाएंगे शुक्ल
प्रथम वशिष्ठ सम्मान से नवाजे जाएंगे शुक्ल

अयोध्या : 19वीं शताब्दी में अपनी आध्यात्मिक-सांस्कृतिक चेतना से चमत्कृत करने वाले तिवारी मंदिर के संस्थापक पं. उमापति त्रिपाठी की स्मृति में प्रथम वशिष्ठ सम्मान शीर्ष वेदज्ञ ब्रह्मचारी ¨वध्येश्वरी प्रसाद शुक्ल को प्रदान किया जाएगा। तिवारी मंदिर में ही रहकर देश को आजाद कराने की मुहिम चलाने वाले प्रखर क्रांतिकारी पं. बृजनंदन ब्रह्मचारी की स्मृति में प्रस्तावित बृजनंदन ब्रह्मचारी सम्मान नेत्रहीनों का विद्यालय संचालित करने वाले महंत अवधेशदास को प्रदान किया जाएगा। यह घोषणा रविवार को तिवारी मंदिर में सम्मान चयन समिति की बैठक के दौरान की गई। आश्विन कृष्ण पक्ष नवमी यानी तीन अक्टूबर को यह सम्मान चयनित विभूतियों को समारोहपूर्वक प्रदान किया जाएगा।

बैठक में जगद्गुरु रामानंदाचार्य स्वामी रामदिनेशाचार्य, रामवल्लभाकुंज के अधिकारी राजकुमारदास, आचार्य रघुनाथदास त्रिपाठी, युवा शास्त्रज्ञ आचार्य मिथिलेशनंदिनीशरण, भागवतकथा मर्मज्ञ पं. राधेश्याम शास्त्री, पूर्व प्राचार्य डॉ. कृष्णकुमार मिश्र, वरिष्ठ साहित्यकार डॉ. जनार्दन उपाध्याय, समाजसेवी नंदकुमार मिश्र पेड़ा महाराज, मधुकरी संत मिथिलाबिहारीदास, कांग्रेस के पूर्व जिलाध्यक्ष राजेंद्र त्रिपाठी, दीनानाथ पांडेय आदि प्रमुख रूप से मौजूद रहे। बैठक का संयोजन तिवारी मंदिर के महंत गिरीशपति त्रिपाठी सहित पं. उमापति त्रिपाठी के अन्य वंशज शरद त्रिपाठी एवं श्रीशपति त्रिपाठी तथा बृजनंदन ब्रह्मचारी के पौत्र चंद्रेश्वर पांडेय एवं चंद्रशेखर पांडेय ने किया। पं. उमापति त्रिपाठी का किरदार शताब्दियों से रामनगरी की आध्यात्मिक-सांस्कृतिक चेतना का प्रतिनिधित्व करता रहा है। उनकी जीवन यात्रा 1793 से 1873 के बीच रही और इस अवधि में वे प्रखर साधक, सिद्धि से आलोकित आचार्य, चार दर्जन से अधिक आध्यात्मिक-धार्मिक ग्रंथों के प्रणेता और गहन उपासना परंपरा के प्रवर्तक के रूप में प्रतिष्ठित हुए।

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योग वाशिष्ठ की दार्शनिकता पर व्याख्यान

- पं. उमापति त्रिपाठी एवं बृजनंदन ब्रह्मचारी की स्मृति में आयोजित सम्मान समारोह के दौरान व्याख्यान भी प्रस्तावित है। व्याख्यान का विषय होगा, योग वाशिष्ठ में प्रतिपाद्य दार्शनिक तत्व। मुख्य वक्ता होंगी, डॉ. कैलाश देवी ¨सह।

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