भव्य मंदिर मार्ग पर रामभक्तों को दिव्य भोजन

रामलला के दर्शन मार्ग पर स्थित अमावा राममंदिर में चलती है राम रसोई

By JagranEdited By: Publish:Sat, 11 Sep 2021 12:06 AM (IST) Updated:Sat, 11 Sep 2021 12:06 AM (IST)
भव्य मंदिर मार्ग पर रामभक्तों को दिव्य भोजन
भव्य मंदिर मार्ग पर रामभक्तों को दिव्य भोजन

अयोध्या(रघुवरशरण) : रामजन्मभूमि पर भव्य मंदिर निर्माण के साथ रामभक्तों को दिव्य भोजन भी मिल रहा है। रामजन्मभूमि के पास ही अमावा राम मंदिर में रामलला के दर्शनार्थियों के लिए निश्शुल्क भोजन मिलता है। इस रसोई में रामलला के दर्शनार्थी बगैर किसी भेदभाव के स्वादिष्ट भोजन कर सकते हैं। नौ नवंबर 2019 को रामलला के हक में आए सुप्रीम फैसले के 21 दिन बाद एक दिसंबर से यह रसोई पटना के सुप्रसिद्ध महावीर मंदिर सेवा ट्रस्ट की ओर से संचालित है। गत वर्ष मार्च में कोरोना संक्रमण का संकट शुरू होने से पूर्व राम रसोई में प्रतिदिन औसतन तीन हजार श्रद्धालु प्रसाद ग्रहण करते थे। कोरोना संकट शुरू होने के बाद से रामलला के दर्शनार्थियों की संख्या में तेजी से कमी आई। इसके बावजूद राम रसोई चलती रही। गत वर्ष पांच अगस्त को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने राम मंदिर निर्माण के लिए भूमिपूजन किया और इसी के साथ ही रामलला के दर्शनार्थियों की संख्या में नित्य वृद्धि होती गई। इसके बाद रामलला के दर्शनार्थियों की संख्या हजारों में जा पहुंची है। इस वर्ष मार्च-अप्रैल से कोरोना संकट फिर गहराने के साथ दर्शनार्थियों की संख्या यदि तीन अंकों तक सिमटी, तो जुलाई-अगस्त से यह संख्या पुन: हजारों में जा पहुंची है। इस महती प्रकल्प का संयोजन कर रहे पूर्व आइपीएस अधिकारी एवं महावीर मंदिर ट्रस्ट के सचिव आचार्य किशोर कुणाल के अनुसार राम रसोई में मिलने वाला प्रसाद पूड़ी, कचौड़ी, खीर, कम से कम दो प्रकार की सब्जी, अरहर की दाल, पापड़ आदि कई व्यंजनों से युक्त स्वादिष्ट भोजन के रूप में सुनिश्चित किया गया है। इस समय रोज करीब साढ़े पांच हजार लोग भोजन करते हैं सप्ताहांत में यह संख्या दस हजार तक पहुंच जाती है।

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आचार्य कुणाल का रामलला से है गहन सरोकार

-रामलला के दर्शन मार्ग पर ही स्थित अमावा राम मंदिर त्रेता में सूर्यवंशीय राज परिवार का देवालय था। आचार्य कुणाल इस विरासत को नए सिरे से सहेज रहे हैं। उन्होंने रामलला के पक्ष में सुप्रीम फैसला आने से पूर्व अमावा मंदिर के मुहाने पर भगवान राम के बाल विग्रह की स्थापना कराई है, जिसे दूर से ही देखा जा सकता है। आचार्य कुणाल राम मंदिर के पक्षकार भी रहे हैं। सुप्रीम फैसला सुनिश्चित करने में अयोध्या विवाद के इतिहास पर केंद्रित उनकी कृति 'अयोध्या रीविजिटेड' की भी अहम भूमिका रही है। उन्होंने महावीर मंदिर ट्रस्ट की ओर से रामजन्मभूमि पर मंदिर निर्माण के लिए पांच वर्षों में 10 करोड़ की राशि देने की घोषणा की है। इसकी पहली किस्त के रूप में दो करोड़ रुपये वे रामजन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट को दे भी चुके हैं।

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