आस्था के आगे ढीले पड़ रहे अनुशासन के तार

बाजार से लेकर आस्था के केंद्रों पर हो रही कोरोना से बचाव की अनदेखी. रामनगरी में कोरोना से संघर्ष का संकल्प विचलित

By JagranEdited By: Publish:Thu, 03 Jun 2021 11:45 PM (IST) Updated:Thu, 03 Jun 2021 11:45 PM (IST)
आस्था के आगे ढीले पड़ रहे अनुशासन के तार
आस्था के आगे ढीले पड़ रहे अनुशासन के तार

रघुवरशरण, अयोध्या : आस्था के आगे अनुशासन के तार ढीले पड़ जा रहे हैं। मंगलवार से लाकडाउन खुलने के बाद बड़ी संख्या में लोग घरों से निकलने लगे हैं। आस्था के साथ आत्मानुशासन की सीख देने वाले मंदिरों पर भी भक्तों का हुजूम कोरोना से बचाव की गाइडलाइन का उल्लंघन करता देखा जा सकता है। बाजार में गहमागहमी और दुकानों पर खरीद-फरोख्त की होड़ हैरान करती है।

सुबह के आठ बजे हैं। रामलला के दर्शन मार्ग पर श्रद्धालुओं की कतार लग गई है। इस कतार में सौ से अधिक श्रद्धालु शामिल होते हैं। कुछ तो शारीरिक दूरी का पालन करते नजर आते हैं, कितु कुछ रामलला के दर्शन की बेताबी में शारीरिक दूरी की परवाह न करते हुए कोरोना से बचाव का संयम खो रहे होते हैं। यद्यपि, अधिकारियों की निगरानी में पुलिस के जवान उन्हें बराबर सजग भी कर रहे होते हैं। बजरंग बली की प्रधानतम पीठ हनुमानगढ़ी की सीढि़यों पर सामान्य दिनों की तरह गहमागहमी नहीं होती, कितु हनुमानगढ़ी की 72 सीढि़यों में से कई पर शारीरिक दूरी का अनुशासन टूटता नजर आता है। श्रद्धालु एक दूसरे से काफी करीब होकर गुजरते हैं और इनमें से कुछ के चेहरे पर मास्क भी नहीं होता। हनुमानगढ़ी से जुड़े युवा संत एवं समाजसेवी राजूदास कहते हैं, कोरोना से बचाव की गाइडलाइन का पालन सुनिश्चित कराने के लिए पूरा प्रयास किया जा रहा है, कितु कोई शक नहीं कि श्रद्धालु कोरोना से बचाव की अनदेखी कर जा रहे हैं। ऐसी ही अनदेखी प्रमुख मंदिरों से जुड़ते मार्गों एवं मुख्य बाजार में भी यत्र-तत्र बयां होती है। छोटी देवकाली मंदिर स्थानीय श्रद्धालुओं की आस्था का प्रमुख केंद्र है। गत मंगलवार को माह भर बाद लाकडाउन खुलने का उत्साह मंदिर के प्रांगण में परिभाषित हो रहा होता है। कोई मां के मुख्य विग्रह को नमन करने में जुटा होता है, तो कोई दाहिनी तरफ स्थित पीपल के वृक्ष की जड़ पर जल अर्पित कर रहा होता है। यहां कुछ अन्य प्रमुख मंदिरों की तुलना में कोरोना से बचाव के प्रति कहीं अधिक सजगता नजर आती है। इसके बावजूद यहां भी ऐसे क्षण आते हैं, जब मास्क किसी श्रद्धालु की नाक से नीचे उतर कर गले में अटका होता है और शारीरिक दूरी की मर्यादा टूट रही होती है। सरयू तट पर भी स्नानार्थियों का संयम डिग रहा होता है और वे यह भूल रहे होते हैं कि कोरोना संकट के बीच उनके काफी करीब भी लोग स्नान कर रहे हैं। यहीं एक समूह में लोग सत्यनारायण व्रत की कथा भी सुन रहे होते हैं और इस दौरान मास्क एवं शारीरिक दूरी के प्रति बेपरवाही दिखती है। बाजार को तो जैसे लाकडाउन खुलने का इंतजार था। हर कोई खरीददारी में लगा दिखता है और इस कोशिश में कोरोना से बचाव का अनुशासन टूट रहा हो तो टूटे। महामारी का कारण बन सकती है चूक

- स्थानीय श्रीराम चिकित्सालय के प्रशासनिक अधिकारी यशप्रकाश सिंह कहते हैं, कोरोना संकट कम भर हुआ है और हमें यह नहीं भूलना चाहिए कि जरा सी चूक संक्रमण तथा महामारी का कारण बन सकती है। ऐसे में कोरोना से बचाव की गाइडलाइन का अक्षरश: पालन करना होगा और तभी हम स्वतंत्रता के साथ जीवन जी सकेंगे।

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