महामारी पर भारी चिकित्सालयों की मनमानी
चिकित्सालयों को निर्देश है कि किसी भी मरीज को भर्ती करने के पहले अथवा तुरंत बाद उसकी कोरोना जांच कराई जाए। शासन और स्वास्थ्य विभाग की ओर से इस बाबत समय-समय पर रिमाइंडर भी जारी हुए हैं लेकिन निजी चिकित्सालयों की मनमानी महामारी पर भी भारी है।
अयोध्या: चिकित्सालयों को निर्देश है कि किसी भी मरीज को भर्ती करने के पहले अथवा तुरंत बाद उसकी कोरोना जांच कराई जाए। शासन और स्वास्थ्य विभाग की ओर से इस बाबत समय-समय पर रिमाइंडर भी जारी हुए हैं, लेकिन निजी चिकित्सालयों की मनमानी महामारी पर भी भारी है। ताजा मामला खिड़की अली बेग मोहल्ला स्थित निदान चिकित्सा केंद्र का है। केंद्र में बीती छह अक्टूबर को रानोपाली के भीखी का पुरवा निवासी मीरा देवी भर्ती हुईं थी। कायदे से मीरा देवी को भर्ती करने से पहले अथवा तुरंत बाद कोरोना जांच कराई जानी चाहिए थी, लेकिन चिकित्सालय प्रशासन ने जांच कराई दस अक्टूबर को। रिपोर्ट 11 अक्टूबर को कोरोना पॉजिटिव आई, वह भी तब, जब दस अक्टूबर को ही लखनऊ ले जाते समय ही रास्ते में मीरा देवी की मृत्यु हो चुकी थी। प्रकरण स्वास्थ्य विभाग के संज्ञान में आया। सीएमओ की ओर से बीती 15 अक्टूबर को निदान चिकित्सा केंद्र के प्रबंधक व संचालक को नोटिस जारी की गई। तीन दिन में स्पष्टीकरण मांगा गया। नोटिस में यह भी कहा गया कि चिकित्सालय प्रशासन यह भी स्पष्ट करे कि उनके खिलाफ कार्रवाई क्यों न की जाए, लेकिन चिकित्सालय प्रबंधन की हिम्मत देखिए। पहले भर्ती मरीज की देर से कोरोना जांच कराई और फिर सीएमओ की ओर से जारी नोटिस का जवाब तक देना मुनासिब नहीं समझा। वहीं इस मसले पर मुख्य चिकित्साधिकारी डॉ. घनश्याम सिंह का कहना है कि शासन कोरोना से मौतों के मामले में बेहद गंभीर है। ताजा प्रकरण में शासनादेशों का उल्लंघन हुआ है। उन्होंने बताया कि अभी तक स्पष्टीकरण प्राप्त नहीं हुआ है। शीघ्र ही चिकित्सालय प्रबंधन को दोबारा नोटिस जारी की जाएगी। वहीं इस मसले पर जागरण की ओर से निदान चिकित्सालय के डॉ. राधेश्याम यादव से संपर्क करने का प्रयास किया गया, लेकिन उनका पक्ष नहीं मिल सका।