कोरोना संकट से बाधित हुआ सरयू महोत्सव का सफर

कोरोना संकट से सरयू महोत्सव का सफर बाधित हो रहा है। सरयू के प्रति अनुराग अनादि है कितु यह अनुराग आठ वर्ष पूर्व नए सिरे से परिलक्षित हुआ। आंजनेय सेवा संस्थान के संयोजन में सरयू के सहस्स्त्रधारा घाट पर 2013 से पुण्य सलिला की नित्य महाआरती शुरू की गई। प्रत्येक शाम 1051 दीपों से। ..तो पूर्णिमा की विशेष संध्या पर 2100 दीपों से पुण्यसलिला की अभ्यर्थना का क्रम आगे बढ़ा।

By JagranEdited By: Publish:Wed, 23 Jun 2021 11:32 PM (IST) Updated:Wed, 23 Jun 2021 11:32 PM (IST)
कोरोना संकट से बाधित हुआ सरयू महोत्सव का सफर
कोरोना संकट से बाधित हुआ सरयू महोत्सव का सफर

अयोध्या : कोरोना संकट से सरयू महोत्सव का सफर बाधित हो रहा है। सरयू के प्रति अनुराग अनादि है, कितु यह अनुराग आठ वर्ष पूर्व नए सिरे से परिलक्षित हुआ। आंजनेय सेवा संस्थान के संयोजन में सरयू के सहस्स्त्रधारा घाट पर 2013 से पुण्य सलिला की नित्य महाआरती शुरू की गई। प्रत्येक शाम 1051 दीपों से। ..तो पूर्णिमा की विशेष संध्या पर 2100 दीपों से पुण्यसलिला की अभ्यर्थना का क्रम आगे बढ़ा। सरयू के प्रति प्रतिदिन और प्रत्येक माह अर्पित होने वाली आस्था का यदि यह आलम था, तो सालाना उत्सव के मौके पर स्वाभाविक रूप से भव्यता का शिखर परिभाषित होने लगा। आंजनेय सेवा संस्थान तो अपने तई कोई कसर नहीं छोड़ रहा था, कई अन्य संस्थाएं भी सरयू जयंती महोत्सव के रूप में सालाना उत्सव को चार चांद लगाने के लिए आगे आती रहीं। सहस्स्त्रधारा घाट पर मुख्य आयोजन चार दिवसीय उत्सव का वाहक बना। वैभवपूर्ण लोकोत्सव के रंग में। अनुष्ठान-पूजन-प्रवचन, 5100 दीपों की महाआरती, संत समागम, सांस्कृतिक संध्या और उद्घाटन से लेकर समापन सत्र में मुख्यमंत्री-उप मुख्यमंत्री सरीखे दिग्गज सत्ताधीशों की मौजूदगी सरयू महोत्सव को रामनगरी का प्रतिनिधि महोत्सव का रंग देने वाली रही। रामनगरी को वरीयता देने वाले योगी आदित्यनाथ के 2017 में मुख्यमंत्री बनने के बाद यह उत्सव निरंतर शिखर की ओर प्रतिष्ठित होने का विश्वास ²ढ़ होता गया, कितु कोरोना संकट के आगे उम्मीदें झटके से धराशाई हो गईं। गत वर्ष भी ज्येष्ठ पूर्णिमा को मनाया जाने वाला सरयू जयंती महोत्सव चार दिन की बजाय एक दिनी आयोजन तक सिमट कर रह गया और इस बार भी कोरोना संकट के चलते एक दिनी आयोजन की ही रूपरेखा प्रस्तावित है। आंजनेय सेवा संस्थान के अध्यक्ष महंत शशिकांतदास के अनुसार पुण्यसलिला की जयंती को निरंतर भव्यता देने की चाहत स्थगित करना आसान नहीं है, कितु आज कोरोना से बचाव ही सबसे बड़ा धर्म बन गया है। इसके बावजूद गुरुवार को 5100 दीपों से पुण्यसलिला की आरती और झांकी प्रस्तावित है। सच्चे हृदय से शिरोधार्य करें भगवान की करुणा

- कोरोना संकट का असर सरयू जयंती की पूर्व बेला में होने वाले आयोजन में भी दिखा। समाजसेवी कौस्तुभ आचारी गत कई वर्षों से अखंड राम नाम संकीर्तन के साथ पुण्यसलिला का दो क्विटल 51 किलो दूध से अभिषेक करते रहे हैं, कितु इस बार उन्हें प्रतीकात्मक आयोजन से ही संतोष करना पड़ा। बुधवार को पूर्वाह्न 51 किलो दूध से अभिषेक करने के बाद आचारी ने नम आंखों से पुण्यसलिला की प्रार्थना की और मानवता को त्रास देने वाले कोरोना से मुक्ति की प्रार्थना की। उन्होंने याद दिलाया कि सरयू के रूप में भगवान की करुणा ही प्रवाहित है और यही करुणा कोरोना से मुक्ति दिलाएगी, कितु हम सच्चे हृदय से इस करुणा को शिरोधार्य करें।

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