Ayodhtya Ram Temple News: 36 परंपराओं के 135 संत बनेंगे भूमिपूजन के साक्षी

Ayodhtya Ram Temple News अयोध्या में 1989 में पूजित शिलाओं से पीएम करेंगे भूमिपूजन हाथ से आसानी से उठाई जा सकेंगी नौ शिलाएं।

By Anurag GuptaEdited By: Publish:Tue, 04 Aug 2020 06:15 AM (IST) Updated:Tue, 04 Aug 2020 05:20 PM (IST)
Ayodhtya Ram Temple News: 36 परंपराओं के 135 संत बनेंगे भूमिपूजन के साक्षी
Ayodhtya Ram Temple News: 36 परंपराओं के 135 संत बनेंगे भूमिपूजन के साक्षी

अयोध्या, जेएनएन। पांच अगस्त को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सॉलिड स्टोन की नौ शिलाओं से जन्मभूमि पर राम मंदिर निर्माण के लिए भूमिपूजन करेंगे। इस अवसर पर भारत की 36 परंपराओं के 135 संतों के साथ करीब 175 लोग शामिल होंगे। भूमिपूजन में एक-एक फुट के ठोस चांदी के नाग-नागिन, पंचधातुओं से बना नवरत्न जडि़त कमल का फूल, बकुल वृक्ष की जड़ निर्मित शंकु भी इस्तेमाल होगा। नौ रत्न जडि़त कमल का फूल, बकुल की जड़ निर्मित शंकु को कांची के शंकराचार्य ने भेजा है। भूमिपूजन के उपरांत इस सामग्री को रामलला के अस्थाई मंदिर में ही सुरक्षित स्थान पर रख दिया जाएगा। विकास प्राधिकरण से मंदिर का नक्शा पास होने के उपरांत जब नींव खोदी जाएगी, तब इसे नींव मेें रखा जाएगा। पांच अगस्त को जिन नौ शिलाओं से पीएम भूमि पूजन करेंगे, उनमें एक शिला जन्मस्थान व शेष आठ मंदिर के लिए उत्तर, पूर्व, पश्चिम व दक्षिण दिशा में चिह्नाकित स्थानों पर रखी जाएंगी। इन शिलाओं का चयन 1989 में पूजित शिलाओं में से किया गया है, जिन्हेंं हाथों से आसानी से उठाया जा सके।

 

कारसेवकपुरम में आयोजित प्रेसवार्ता में श्रीरामजन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के महासचिव चंपत राय ने बताया कि  आमंत्रित संतों में दशनामी संन्यासी परंपरा, वैष्णव परंपरा, रामानुज परंपरा, नाथ परंपरा, निम्बार्क, माधवाचार्य, वल्लभाचार्य, रामसनेही, कृष्णप्रणामी, उदासीन, कबीरपंथी, चिन्मय मिशन, रामकृष्ण मिशन, लिंगायत, वाल्मीकिसंत, रविदासी संत, आर्य समाज, सिक्ख परंपरा, बौध, जैन, इस्कान, स्वामीनारायण, वारकरी, एकनाथ, बंजारा व वनवासी संत, आदिवासी गौण, गुरु परंपरा, भारत सेवाश्रम संघ, आचार्य समाज, सिंधी संत व अखाड़ा परिषद के पदाधिकारी हैं। नेपाल के जानकी मंदिर के महंत भी भूमिपूजन के कार्यक्रम का हिस्सा होंगे।

 

सिंहल के बड़े भाई के पुत्र सलिल सिंहल होंगे मुख्य यजमान

पांच अगस्त के कार्यक्रम के मुख्य यजमान विहिप के शीर्ष नेता रहे दिवंगत अशोक सिंहल के बड़े भाई के पुत्र सलिल सिंहल होंगे। वाराणसी, मथुरा, अयोध्या व दिल्ली के आचार्य भूमिपूजन कराएंगे।

आडवाणी, जोशी और कल्याण सिंह नहीं आएंगे

भूमिपूजन में पूर्व उपप्रधानमंत्री लालकृष्ण आडवाणी, डॉ. मुरलीमनोहर जोशी और प्रदेश पूर्व मुख्यमंत्री कल्याण सिंह नहीं आएंगे, जबकि मंच पर प्रधानमंत्री के अलावा ट्रस्ट के अध्यक्ष महंत नृत्यगोपालदास, आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत, राज्यपाल आनंदीबेन, मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ रहेंगे। समारोह में केंद्रीय रक्षामंत्री राजनाथ सिंह के भी आने की संभावना नहीं है

मंदिर मॉडल पर डाक टिकट जारी करेंगे पीएम

प्रधानमंत्री मंदिर मॉडल पर डाक टिकट भी जारी करेंगे और पारिजात का पौधा भी रोपित करेंगे। राय ने बताया कि भूमिपूजन के लिए करीब दो हजार स्थानों से मिट्टी व सौ से अधिक नदियों, समुद्र का जल आया है। श्रीलंका के भी जल और मिट्टी का प्रयोग भूमि पूजन में होगा।

 

हरे रंग की पोशाक परंपरा

महासचिव ने भूमिपूजन के दौरान रामलला को हरे रंग की पोशाक पहनाए जाने पर उठ रहे विवाद को खारिज कर दिया। कहा, भगवान की पोशाक की रंग का निर्धारण परंपरा और दिवस के हिसाब से होता है।

 

सिक्योरिटी कोड से लैस कार्ड

भूमिपूजन के लिए बना आमंत्रण पत्र खास किस्म के सिक्योरिटी कोड से लैस है, जो केवल एक बार ही काम करेगा। कार्ड की नंबरिंग भी की गई है। प्रवेश के वक्त कार्ड पर पड़े नाम व नंबर को सुरक्षा अधिकारी क्रॉस चेक करेंगे। एक बार प्रवेश लेने के बाद यदि कोई व्यक्ति परिसर से निकलकर दोबारा जाने करने की कोशिश करेगा तो उसे प्रवेश नहीं मिल सकेगा।

पीएम से दो घंटे पहले पहुंचेंगे अतिथि

भूमि पूजन में शामिल होने के लिए अतिथियों को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के पहुंचने से दो घंटे पहले ही स्थल पर पहुंचना होगा। अतिथियों के वाहन सिर्फ रंगमहल बैरियर तक ही जाएंगे। वहां से अतिथियों को पैदल ही कार्यक्रम स्थल तक जाना होगा। अमावा मंदिर परिसर में वाहनों की पाॄकग की जाएगी।

इकबाल और शरीफ  को न्योता

ट्रस्ट ने भूमिपूजन के लिए पद्मश्री मो.शरीफ को भी आमंत्रित किया है। मो. शरीफ ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मिलने की इच्छा जताई थी और रविवार अपना यह मन्तव्य जागरण से व्यक्त भी किया था। उनके साथ ही बाबरी मस्जिद के मुद्दई रहे इकबाल अंसारी को भी भूमि पूजन में बुलाया गया है। मंदिर आंदोलन में हुतात्मा कारसेवकों के परिवारीजन भी शामिल होंगे। इनमें अयोध्या से राजेंद्र धरकार, वासुदेव गुप्त, रमेश पांडेय, रामअचल गुप्त हैं, जबकि राम कोठारी व शरद कोठारी की बहन पूॢणमा कोठारी कोलकाता से आएंगी। आमंत्रितों में रामलला के प्राकट्य में अहम भूमिका निभाने वाले तत्कालीन सिटी मजिस्ट्रेट ठाकुर गुरुदत्त सिंह के पौत्र शक्ति सिंह हैं।

 

दान से अॢपत हो रही श्रद्धा

ट्रस्ट के महासचिव चंपतराय ने बताया कि महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे की ओर से एक करोड़ रुपया मिला है। कोषाध्यक्ष गोविंददेव गिरी ने बताया कि दिग्गज रामकथावाचक मोरारी बापू व उनके श्रोताओं की ओर से राममंदिर के लिए जहां 18 करोड़ रुपये दिए जाएंगे। इनमें 11 करोड़ रुपया पांच अगस्त से पहले ही ट्रस्ट के खाते में जमा हो जाएगा। ट्रस्ट के कोषाध्यक्ष स्वामी गोविंददेव गिरी ने बताया कि ब्रह्मलीन महामंडलेश्वर शंकराचार्य स्वामी सत्यमित्रानंद गिरी की इच्छा थी कि जब मंदिर निर्माण हो तो सवा लाख रुपये की पहली ईंट उनकी ओर से रखी जाएगी। कोषाध्यक्ष के मुताबिक एक सज्जन ने भगवान की मूॢत के लिए एक करोड़ देने के लिए कहा है, जबकि पुणे स्थित एमआइटी विद्यापीठ के संचालक डॉ. विश्वनाथ कराड व पद्मविभूषण डॉ. विजय भटकर ने संस्था के छात्रों की ओर से 21 करोड़ रुपये देने की घोषणा की है। इस मौके पर ट्रस्ट के सदस्य डॉ. अनिल मिश्र व विहिप के अंतरराष्ट्रीय संगठन मंत्री दिनेश चंद्र मौजूद रहे।

 

लखनऊ से मुस्लिम महिला ने भेजी राखी

रामलला के लिए लखनऊ की मुस्लिम महिला चांदनी शाहबानो ने डाक से राखी भेजी है। ट्रस्ट के महासचिव चंपतराय ने यह जानकारी साझा की। उन्होंने कहाकि भगवान राम से प्रेम धर्म की सीमाओं से परे हैं।

108 दिनों में हुआ ये पूजन

ट्रस्ट के महासचिव चंपत राय ने बताया कि मंदिर निर्माण के भूमिपूजन के लिए बीती 18 अप्रैल से ही वास्तु की पूजा, स्थान देवता व देवताओं का पूजन आरंभ हो गया था। इस दौरान प्रतिदिन वेदपाठ, पुरुष सूक्त, श्रीसूक्त, अघोरमंत्र, ग्रह-नक्षत्र शांति पाठ, विष्णु सहस्त्रनाम, श्रीराम सहस्त्रनाम, श्रीहनुमंत सहस्त्रनाम व दुर्गा सप्तशत के मंत्रों से पूजन एवं हवन आदि हुआ। रुद्राभिषेक भी कराया गया, जिससे यह क्षेत्र प्रचंड आध्यात्मिक ऊर्जा से ओत-प्रोत हो सके।

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