अविवि की मुख्य परीक्षा में गैरहाजिर रहे 1131 परीक्षार्थी
अवध विश्वविद्यालय की मुख्य परीक्षा में रविवार को परीक्षा नियंत्रक उमानाथ ने प्रथम पाली की परीक्षा में देवइंद्रावती महाविद्यालय कटेहरी जेडीजेबी महाविद्यालय अंबेडकरनगर महिला महाविद्यालय गद्दोपुर रामबली नेशनल पीजी कॉलेज गोसाईंगज एवं आशा भगवानबख्श सिंह महाविद्यालय पूराबाजार अयोध्या के परीक्षा केंद्र का औचक निरीक्षण किया।
अयोध्या: अवध विश्वविद्यालय की मुख्य परीक्षा में रविवार को परीक्षा नियंत्रक उमानाथ ने प्रथम पाली की परीक्षा में देवइंद्रावती महाविद्यालय कटेहरी, जेडीजेबी महाविद्यालय अंबेडकरनगर, महिला महाविद्यालय गद्दोपुर, रामबली नेशनल पीजी कॉलेज गोसाईंगज एवं आशा भगवानबख्श सिंह महाविद्यालय पूराबाजार अयोध्या के परीक्षा केंद्र का औचक निरीक्षण किया। उन्होंने परीक्षा में कोरोना प्रोटोकॉल का अनुपालन करने का सख्त निर्देश दिया। छात्र-छात्राओं से संवाद किया। केंद्र के सीसीटीवी कैमरे के संचालन को देखा। स्नातक एवं परास्नातक अंतिम वर्ष की प्रथम पाली में 23 हजार 192 एवं द्वितीय पाली में 21 हजार 605 परीक्षार्थियों ने परीक्षा दी। कुल 44 हजार 797 परीक्षार्थी उपस्थित रहे और 1131 परीक्षार्थी अनुपस्थित थे।
मीडिया प्रभारी डॉ. विजयेंदु चतुर्वेदी ने बताया कि कुलपति प्रो. रविशंकर सिंह के निर्देश पर शुचितापूर्ण तरीके से परीक्षाएं संचालित हो रही हैं।
प्रयोगात्मक परीक्षा न होने से कृषि छात्र विचलित
अयोध्या : डॉ. राममनोहर लोहिया अवध विश्वविद्यालय के कृषि स्नातक के अंतिम वर्ष के छात्रों की लिखित परीक्षा हो रही है, परंतु प्रयोगात्मक परीक्षा नहीं कराई जा रही है। प्रदेश सरकार की गाइड लाइन के अनुसार केवल लिखित परीक्षा ही करायी जा सकती है और कुलपति को यह विशेषाधिकार दिया गया है कि वह विश्वविद्यालय की परीक्षा समिति के अनुमोदन से प्रयोगात्मक परीक्षा भी करा सकते हैं। बीएससी कृषि की शिक्षा में लिखित से ज्यादा प्रयोगात्मक कार्यों का योगदान रहता है और इसी तथ्य को ध्यान में रख कर आगरा विश्वविद्यालय, पूर्वांचल विश्वविद्यालय, उदयप्रताप कालेज बनारस तथा अन्य कृषि विश्वविद्यालयों ने लिखित परीक्षा के साथ प्रयोगात्मक परीक्षा कराने का निर्णय किया है।
अविवि से संबद्ध नंदिनी नगर महाविद्यालय के छात्र सूरज त्रिपाठी एवं शुभम त्रिपाठी, परमहंस महाविद्यालय के आदर्श शुक्ल, कमला नेहरू महाविद्यालय के उमेश यादव, निशांत सिंह, प्रदीप यादव एवं विनोद यादव ने कुलपति से यह मांग की है कि छात्रों के भविष्य को ध्यान में रख कर उनकी प्रयोगात्मक परीक्षा कराई जाय अथवा कृषि स्नातक के प्रथम, द्वितीय, तृतीय वर्ष में प्राप्त प्रयोगात्मक अंकों के आधार बनाकर बीएससी (कृषि चतुर्थ वर्ष) में भी प्रयोगात्मक अंक प्रदान किये जाएं।