कछुआ तस्करी का केंद्र बन गया यमुना-चंबल का दोआब

मनोज तिवारी बकेवर चंबल यमुना सिधु क्वारी और पहुज नदियों के अलावा छोटी अन्य नदियों और

By JagranEdited By: Publish:Sun, 29 Nov 2020 10:42 PM (IST) Updated:Sun, 29 Nov 2020 10:42 PM (IST)
कछुआ तस्करी का केंद्र बन गया यमुना-चंबल का दोआब
कछुआ तस्करी का केंद्र बन गया यमुना-चंबल का दोआब

मनोज तिवारी, बकेवर

चंबल, यमुना, सिधु, क्वारी और पहुज नदियों के अलावा छोटी अन्य नदियों और तालाबों में कछुए बहुतायत में पाए जाने से इटावा कछुओं की तस्करी का केंद्र बन गया है। चंबल सैंक्चुअरी बनने के एक साल बाद ही यानी 1980 से आज तक 125 से भी अधिक तस्कर गिरफ्तार किए जा चुके हैं, जिनके पास से 90 हजार से ज्यादा कछुए बरामद किए गए। इनमें से 14 तस्कर पिछले दो बरसों में पकड़े गए हैं, जिनके पास से 12 हजार से ज्यादा कछुए बरामद हुए। अंदाजा लगाना मुश्किल नहीं कि जब बड़ी संख्या में कछुए बरामद हुए तो कितने कछुए बाहर सप्लाई हो चुके होंगे। यह धंधा सैकड़ों रुपये प्रति कछुए से शुरू होकर हजारों-लाखों तक पहुंचता है।

लखना सामाजिक वानिकी के वन रेंज अधिकारी विवेकानंद दुबे बताते हैं कि कछुओं की सप्लाई पश्चिम बंगाल और बांग्लादेश के रास्ते चीन, हांगकांग और थाईलैंड जैसे देशों तक की जाती है। वहां लोग कछुए के मांस को पसंद करते हैं। साथ ही इसे पौरुषवर्धक दवा के रूप में भी इस्तेमाल किया जाता है। कई देशों में कछुए के सूप और चिप्स की जबरदस्त मांग है। टॉरट्वाइज एड इंटरनेश्नल की एक रिपोर्ट के मुताबिक चीन में केवल खोल की जेली बनाने के लिए ही सालाना 73 हजार कछुए मारे जाते हैं। व‌र्ल्ड वाइल्ड लाइफ फंड का मानना है कि इस जबरदस्त मांग को पूरा करने के लिए कई देशों से माल मंगाया जाता है। इसी तरह थाईलैंड और हांगकांग में भी कछुओं की बहुत मांग है। कछुओं को बचाने के अनेक प्रयास, जिनमें कुछ कानून बनाना भी शामिल है इसलिए ज्यादा कामयाब नहीं हो सके हैं क्योंकि इन देशों में परंपरागत रूप से किसी न किसी तरह कछुओं का इस्तेमाल होता रहा है। जिदा कछुओं की मांग सबसे ज्यादा है, क्योंकि उनका खोल और मांस ताजा मिलता है। जिदा कछुओं की तस्करी मुश्किल होती है, इसलिए तस्करों ने एक और तरीका ईजाद कर लिया है। अब कछुओं के मांस के चिप्स बनाकर तस्करी की जाने लगी है। भारी तादात में बरामद होते रहे कछुए

2012 के विधानसभा चुनाव से पहले गाड़ियों की चेकिग के दौरान ट्रक में दो हजार से अधिक कछुए बरामद हुए। गिरफ्तार किए गए चार तस्करों ने बताया कि कछुए पश्चिम बंगाल तक पहुंचाना होता है। उसी दौरान दो ट्रकों में 11 हजार कछुए और पकड़े गए। ये भी पश्चिम बंगाल भेजे जा रहे थे। इसी तरह जनवरी 2014 में बकेवर में कछुए पकड़े बरामद हुए थे। तब बकेवर के तत्कालीन थानाध्यक्ष जेपी पाल ने बताया था कि सभी कछुए बांग्लादेश, थाईलैंड, चीन और मलेशिया सप्लाई किए जा रहे थे। बकेवर थाना क्षेत्र के दिलीपनगर, अंदावा, इकनौर की मड़ैया के नीचे प्रतिबंधित सैंक्चुअरी क्षेत्र यमुना नदी में शिकारियों द्वारा कछुओं का शिकार सैंक्चुरी के कर्मचारियों की मिलीभगत से किया जाता है। शिकारी कछुओं को कानपुर ले जाकर बेचते हैं।

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