खाद की कमी से किसानों के माथे पर चिंता की लकीरें
संवादसूत्र महेवा किसानों के सामने आलू व सरसों की बोआई सामने खड़ी है। इसके लिए डीएपी खा
संवादसूत्र, महेवा : किसानों के सामने आलू व सरसों की बोआई सामने खड़ी है। इसके लिए डीएपी खाद की मारामारी हो रही है। लाल फीता शाही के संजाल ने किसानों के सामने डीएपी खाद का संकट खड़ा करके उनके माथे पर सिलवटें बैठा दी हैं। सहकारी संस्थाओं पर खाद का भारी टोटा है। एक दो संघों या समिति पर डीएपी खाद उपलब्ध हो पा रही है वह भी ऊंट के मुंह में जीरे के समान है। विकास खंड महेवा में सहकारी संस्थाओं पर खाद का भारी टोटा पड़ा हुआ है। पूरे विकास खंड क्षेत्र में नौ सहकारी संघ व सात सहकारी समितियां हैं जिनमें सहकारी संघ महेवा, लखना, बकेवर, दिलीपनगर, दाईपुर, मुकुटपुर, निवाड़ीकला, मेंहदीपुर सहित सात सहकारी समितियां संचालित हैं। सहकारी संघ चंद्रपुरा और सहकारी समिति निवाड़ी कला बंद पड़ी हुई है। सिर्फ लाखी, उरैंग पर ही डीएपी खाद उपलब्ध है वह भी अपर्याप्त है। सात सहकारी समितियों के सापेक्ष मुकुटपुर, बकेवर, दाईपुर पर ही खाद किसानों को उपलब्ध है वह भी अपर्याप्त मात्रा में। दैनिक जागरण टीम ने सहकारी समिति मुकुटपुर का जायजा लिया तो वहां पर किसानों की भीड़ खाद के लिए एकत्रित थी। सचिव शिवपाल सिंह यादव ने बताया कि एक दिन पूर्व 300 बोरी डीएपी खाद आयी है जो किसानों को मानक के हिसाब से निर्धारित रेट 1200 रुपये प्रति बोरी के हिसाब से दी जा रही है। उन्होंने बताया कि किसानों से खतौनी व आधार कार्ड लेकर एक एकड़ पर एक बोरी शासन के निर्देशानुसार दी जा रही है। सहकारी संघ लाखीपुर भी यही आलम था। सचिव रामवीर सिंह यादव ने बताया कि अभी उनके पास 300 बोरी डीएपी उपलब्ध है जो मानकों के आधार पर किसानों को दी जा रही है। इसके साथ पांच किलो सल्फर का झोला 280 रुपये में दिया जा रहा है। किसानों का कहना है कि अगर सरकार प्राइवेट सेक्टर में डीएपी खाद उपलब्ध करा दे तो बहुत कुछ हद तक खाद की किल्लत से बचा जा सकता है। खाद की सीमा को बढ़ाया जाएगा अपर जिला सहकारी अधिकारी राजेश कुमार मिश्रा ने बताया कि विकास खंड में 15 सहकारी संघों और समितियों के सापेक्ष सिर्फ पांच सघों और समितियों पर ही खाद की आपूर्ति हो रही है। बाकी समितियों और संघों पर उनकी लिमिट बैंक द्वारा पास न होने के चलते खाद का उठान नहीं हो पाया है। जिन समितियों पर खाद उपलब्ध है उनकी लिमिट 300 बोरी की जगह 600 बोरी कराई जा रही है तो किसानों की भीड़ अपने आप कम हो जाएगी। क्या कहते हैं किसान किसान हरिश्चंद्र पाल का कहना है कि उन्हें पांच बोरी खाद की जरूरत है। समिति एक बोरी खाद दे रही है। इतने में कैसे आलू व सरसों की फसल तैयार हो पाएगी। किसान मुन्नीलाल पाल का कहना है कि डीएपी की कमी किसानों को खून के आंसू रुला रही है। खाद का टोटा है, सरकार इसकी भरपाई नहीं कर पा रही है। कभी यूरिया का संकट रहता है तो कभी डीएपी का। किसान विनय राठौर का कहना है कि सरकार को खाद की आपूर्ति करनी चाहिए। थोड़ी बहुत खाद जो आ रही है वह ऊंट के मुंह में जीरे के समान है। किसान बृज भूषण तिवारी कहते हैं कि खाद का संकट सरकार की नाकामी है। अगर सरकार प्राइवेट सेक्टर में खाद उपलब्ध करा दे तो इस संकट से बचा जा सकता है। सरकार पोटास सुपर फास्फेट उपलब्ध करा दे यह डीएपी का विकल्प बन सकता है।