छह माह में नहीं हो सका शिक्षकों के प्रमाण पत्रों का सत्यापन

जागरण संवाददाता इटावा शैक्षिक प्रमाणपत्रों के सत्यापन में हो रही विभागीय लापरवाही का खाि

By JagranEdited By: Publish:Fri, 07 May 2021 05:00 PM (IST) Updated:Fri, 07 May 2021 05:00 PM (IST)
छह माह में नहीं हो सका शिक्षकों के प्रमाण पत्रों का सत्यापन
छह माह में नहीं हो सका शिक्षकों के प्रमाण पत्रों का सत्यापन

जागरण संवाददाता, इटावा : शैक्षिक प्रमाणपत्रों के सत्यापन में हो रही विभागीय लापरवाही का खामियाजा नवनियुक्त शिक्षकों को भुगतना पड़ रहा है। जनपद में 69 हजार भर्ती प्रक्रिया के तहत बेसिक शिक्षा विभाग के परिषदीय विद्यालयों में नियुक्त हुए सहायक अध्यापकों ने अपने-अपने विद्यालय में ज्वाइन किये छह माह से अधिक समय हो गया लेकिन उनके शैक्षिक प्रमाणपत्रों के सत्यापन में हो रही हीला-हवाली के चलते वे वेतन के लिए चक्कर लगा रहे हैं। यूटा के प्रदेश अध्यक्ष राजेंद्र सिंह राठौर ने प्रदेश के बेसिक शिक्षा मंत्री सतीश द्विवेदी, अपर मुख्य सचिव (बेसिक शिक्षा) रेणुका कुमार व महानिदेशक स्कूल शिक्षा विजय किरण आनंद को ज्ञापन भेजते हुए 69 हजार भर्ती प्रक्रिया के तहत नियुक्त शिक्षकों को पूर्व की भर्तियों की भांति दो शैक्षिक प्रमाणपत्रों के सत्यापन के बाद शपथ पत्र के आधार पर वेतन देने की मांग की है। उन्होंने बताया है कि 69 हजार भर्ती दो चरणों में पूर्ण हुई थी। प्रथम चरण में 31 हजार 227 शिक्षकों को अक्टूबर में ज्वाइनिग दी गई तथा दूसरे चरण में 36 हजार 590 शिक्षकों को दिसंबर में नियुक्ति दी गई। प्रथम चरण की भर्ती को 6 महीने एवं दूसरे चरण की भर्ती को चार माह से अधिक समय हो गया, लेकिन सत्यापन प्रक्रिया सम्पन्न कराने में विभागीय अधिकारी कतई रुचि नहीं ले रहे हैं और अध्यापक वेतन के लिये भटक रहे हैं। बिना वेतन के अत्यधिक समय होने के कारण शिक्षकों को आर्थिक तंगी का सामना करना पड़ रहा है। यूटा के जिलाध्यक्ष रवींद्र गुप्ता, जिला महामंत्री दीपक त्रिपाठी, जिला उपाध्यक्ष संजीव कुमार, आनंद मिश्रा, प्रशांत दुबे आदि ने बताया है कि संबंधित शैक्षिक संस्थाओं तथा बोर्ड व विश्वविद्यालय स्तर पर सत्यापन में घोर लापरवाही बरती जा रही है जिससे जनपद के सैंकड़ों शिक्षक अनावश्यक परेशान हो रहे हैं। शिक्षक संगठन यूनाइटेड टीचर्स एसोसिएशन (यूटा) ने पूर्व की भर्तियों की भांति इस भर्ती के शिक्षकों को भी दो शैक्षिक प्रमाणपत्रों के सत्यापन के फलस्वरूप ही शपथपत्र लेकर वेतन देने की मांग की है।

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