दोषी पाए जाने पर परिवहन विभाग के राजस्व निरीक्षक व चार लिपिक निलंबित

जागरण संवाददाता इटावा जनवरी माह में पुलिस द्वारा चोरी के वाहनों का पंजीकरण कराने वाल

By JagranEdited By: Publish:Thu, 11 Mar 2021 04:34 PM (IST) Updated:Thu, 11 Mar 2021 04:34 PM (IST)
दोषी पाए जाने पर परिवहन विभाग के राजस्व निरीक्षक व चार लिपिक निलंबित
दोषी पाए जाने पर परिवहन विभाग के राजस्व निरीक्षक व चार लिपिक निलंबित

जागरण संवाददाता, इटावा : जनवरी माह में पुलिस द्वारा चोरी के वाहनों का पंजीकरण कराने वाले गिरोह का पर्दाफाश किए जाने के बाद से परिवहन विभाग के एक राजस्व निरीक्षक व चार लिपिकों की मिली भगत सामने आई है। जांच के बाद इन सभी लोगों को निलंबित कर दिया गया। यह लोग वर्ष 2015 से लेकर 2017 तक इटावा व औरैया जनपदों में तैनात रहे हैं। अब उनकी तैनाती दूसरे जिलों में है।

8 जनवरी को परिवहन विभाग की उच्च स्तरीय जांच टीम में शामिल उपायुक्त परिवहन मुख्यालय एमएल चौरसिया, उपायुक्त परिवहन आगरा जेएस तिवारी ने आरटीओ कानपुर संजय सिंह के साथ मामले की जांच पड़ताल की थी। कई पत्रावलियों में त्रुटियां पाई गई थीं और मूल प्रपत्र नहीं मिले थे। कई वाहनों में रजिस्ट्रेशन करने के बाद एनओसी जारी करने वाले विभाग को सूचना नहीं दी गई थी। जांच टीम द्वारा शासन को रिपोर्ट भेजे जाने के बाद राजस्व निरीक्षक जय सिंह जो कानपुर में तैनात थे और उनके पास उस समय औरैया का चार्ज था को निलंबित कर दिया गया है। जबकि लिपिक बेबी उरूसा, प्रभाष कुमार, अमित शुक्ला, प्रदीप कुमार को भी निलंबित कर दिया गया है। इन सभी लोगों की भूमिका जांच टीम ने कहीं न कहीं संदिग्ध पाई है। एआरटीओ बृजेश कुमार ने बताया कि जांच टीम की रिपोर्ट के बाद परिवहन आयुक्त ने एक राजस्व निरीक्षक व चार लिपिकों को निलंबित कर दिया है। इनमें बेबी उरूसा पहले से ही निलंबित चल रही है। उसके खिलाफ मार्च 2018 में एआरटीओ कार्यालय में पुलिस द्वारा मारे गए छापे के बाद मुकदमा दर्ज हुआ था। जिसमें वो इस समय जमानत पर है।

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यह था मामला

इटावा पुलिस ने चोरी के वाहनों का पंजीकरण कराने वाले गिरोह का पर्दाफाश किया था और ऐसे लगभग 46 वाहन चोरी के पकड़े गए थे। इनमें लखनऊ, कानपुर, शाहजहांपुर व झांसी के नंबर वाले वाहन पुलिस ने बरामद किए थे। इन चोरी के वाहनों का परिवहन विभाग के कर्मचारियों की मिली भगत से पंजीकरण कर दिया गया था। इन 46 वाहनों में लखनऊ का एक, झांसी का एक, शाहजहांपुर का एक, कानपुर का एक, इटावा के छह व 36 औरैया जनपद के वाहन थे। यह सभी वाहन वर्ष 2015 से लेकर वर्ष 2017 तक पंजीकृत हुए थे। विभाग ने वाहनों के चेसिस नंबर निर्माता कंपनियों से प्रमाणित कराए थे। पुलिस द्वारा मामला खोले जाने के बाद परिवहन महकमे में हड़कंप मच गया था।

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