गरीब मजदूर को ग्रामीणों ने बनाया प्रधान
संवाद सहयोगी जसवंतनगर 15 साल से सरकारी आवास के लिए परेशान प्लास्टिक की पन्नी बांधकर उ
संवाद सहयोगी, जसवंतनगर : 15 साल से सरकारी आवास के लिए परेशान प्लास्टिक की पन्नी बांधकर उसकी छाया में जीवन यापन कर रहे एक तंगहाल मजदूर को ग्राम पंचायत रायनगर की जनता ने अपना प्रधान बना दिया है। उन्हें प्रतिद्वंद्वी प्रत्याशी अपने चचेरे भाई से 294 वोट ज्यादा मिले हैं।
नवनिर्वाचित प्रधान राजकुमार कठेरिया के परिवार में छह बच्चे हैं, जिनमें सबसे बड़ा 21 वर्षीय मूक बधिर बेटा आठवीं पास होने के बाद मेहनत मजदूरी कर लेता है। एक बेटी शादी लायक है। बाकी सभी बच्चे सरकारी स्कूल में पढ़ते हैं। जबकि उसकी पत्नी 2700 रुपये प्रतिमाह के मानदेय पर आंगनबाड़ी में बतौर सहायिका काम कर रही है। जमीन के नाम पर सिर्फ डेढ़ डिसमिल यानी एक बीघे का चौदहवां हिस्सा फसली जमीन है, जिसमें कभी कभार तो कुछ फसल हो जाती है, नहीं तो गाय चर जाती हैं। ऐसी परिस्थितियों में जीने वाले राजकुमार ने कभी नहीं सोचा था कि वह प्रधान बनेंगे। पिछली ग्राम समाज की भागवत कथा के दौरान उनको कुछ लोगों ने प्रोत्साहित किया तो उन्होंने अपने परिवार के साथ मजदूरी करते हुए 20 हजार रुपये चुनाव लड़ने के लिए जुटा लिए फिर पता चला कि बिजली बिल का काफी पुराना लगभग 70 हजार रुपया बकाया है। नोड्यूज न मिलने पर वह चुनाव नहीं लड़ पाएगा तो इसके लिए गांव के ही चुनिदा लोगों ने मिलकर उसका बिजली बिल जमा कराया और नोड्यूज थमा दिया।
नवनिर्वाचित प्रधान राज कुमार कठेरिया ने कहा कि उन्हें इस बात का कतई मलाल नहीं है कि वह गरीबी का जीवन जी रहे हैं और उनके पास एक छत भी नहीं है। उन्हें खुद से ज्यादा चिता अपने गांव समाज की है। वह अपने ही जैसे आवासहीन परिवारों को आवास दिलाएंगे। वह अब गांव के राशन व पेंशन से वंचितों के राशन कार्ड बनवाने पेंशन आवेदन कराने का काम घर घर जाकर करेंगे। गांव में चारों ओर फैली गंदगी का खात्मा करने के साथ ही युवाओं को वाईफाई इंटरनेट की फ्री सुविधा शिक्षा व्यवस्था में सुधार खेलकूद की व्यवस्था लाइब्रेरी की स्थापना जैसे कार्य उनकी सूची में शामिल हैं। राजकुमार के मुताबिक कुछ षड्यंत्रकारियों ने उनके ही चचेरे भाई को उनके खिलाफ चुनाव लड़ा दिया।