चंबल नदी में बढ़ा घड़ियालों का कुनबा

गौरव डुडेजा इटावा घड़ियालों के प्राकृतिक वास के लिए प्रसिद्ध चंबल नदी से फिर खुशखबरी आ

By JagranEdited By: Publish:Sat, 19 Jun 2021 10:14 PM (IST) Updated:Sat, 19 Jun 2021 10:14 PM (IST)
चंबल नदी में बढ़ा घड़ियालों का कुनबा
चंबल नदी में बढ़ा घड़ियालों का कुनबा

गौरव डुडेजा, इटावा

घड़ियालों के प्राकृतिक वास के लिए प्रसिद्ध चंबल नदी से फिर खुशखबरी आई है। इस वर्ष घड़ियालों के कुनबे में खासा इजाफा हुआ है। यहां बढ़पुरा ब्लाक के अंतर्गत दो स्थानों कसौआ और खेड़ा अजब सिंह में घड़ियाल अंडे देते हैं। इस साल नदी किनारे 48 स्थानों पर 1504 घड़ियाल के बच्चों ने जन्म लिया है, जो चंबल में पहुंच गए हैं।

हर वर्ष फरवरी-मार्च माह में घड़ियालों का मिलन होता है। मार्च से अप्रैल के प्रथम सप्ताह तक प्रत्येक मादा घड़ियाल 30 से 60 तक अंडे देती हैं। इन्हें नदी के किनारे रेत में गड्ढे बनाकर रखती हैं। एक जून से 15 जून तक अंडे फूटते हैं और सभी बच्चे बाहर आ जाते हैं।

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सिर्फ पांच फीसद बचते जीवित

हर साल पैदा होने वाले घड़ियालों के बच्चों में सिर्फ पांच फीसद जीवित बचते हैं। जून के अंतिम सप्ताह से चंबल नदी में बाढ़ के कारण पानी का तेज बहाव आने से ये बच्चे नदी में बह जाते हैं और इनकी मौत हो जाती है। कुछ सुरक्षित किनारों पर पहुंच जाते हैं, वे ही बच पाते हैं। कुल आबादी के 90 फीसद घड़ियाल चंबल में ही पाए जाते हैं। अभी हाल ही में लखनऊ के कुकरैल घड़ियाल प्रजनन केंद्र को चंबल नदी से 700 अंडे भेजे गए थे। इटावा जिले में चंबल नदी में घड़ियालों की संख्या इस समय 900 के करीब है।

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नदी में अनुकूल वातावरण के कारण इस वर्ष घड़ियालों के बच्चे अच्छी संख्या में हैं। वन विभाग ने पूरी सुरक्षा की, जिसका नतीजा यह हुआ कि पिछले वर्ष से इनकी संख्या बढ़ी है। घड़ियालों का संरक्षण लगातार चंबल क्षेत्र में हो रहा है।

-हरि किशोर शुक्ला, रेंजर, चंबल वन्य जीव प्रक्षेत्र।

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