मास्क सिलकर कोरोना से जंग लड़ रहीं बहनें
राजकिशोर गुप्ता ऊसराहार गांव में कोरोना मरीजों की बढ़ती संख्या को देखकर दो बहनें
राजकिशोर गुप्ता, ऊसराहार : गांव में कोरोना मरीजों की बढ़ती संख्या को देखकर दो बहनें बड़ी संख्या में नि:शुल्क मास्क सिलकर गांव के लोगों को वितरित करके कोरोना से जंग लड़ रही हैं। दादी- दादा के कोरोना पॉजिटिव होने के बाद वे खादी के कपड़े की आकर्षक डिजाइन में मास्क तैयार कर ग्रामीणों में वितरित कर रहीं हैं और दो गज की दूरी मास्क है जरूरी का संदेश दे रही हैं। मोहरी गांव के राधाकृष्ण मिश्रा के बड़े पुत्र श्रीश मिश्रा की दो पुत्रियां सौम्या व शिप्रा ने गांव में दो सप्ताह के अंदर छह मौतों और लगभग एक दर्जन संक्रमित लोगों की संख्या बढ़ने पर ग्रामीणों को कोरोना के संक्रमण से बचाने के लिए घर पर ही मास्क बनाने का फैसला लिया। इस कार्य में उनका सहयोग कालिका माता सुंदर कांड सेवा समिति ऊसराहार द्वारा किया गया। समिति द्वारा खादी के आकर्षक रंगों के कपड़े दोनों बहनों को उपलब्ध कराए गए। वे परिवार के सदस्यों के सहयोग से प्रतिदिन एक सैकड़ा मास्क सिलकर ग्रामीणों के मध्य बांट रही हैं। अब तक करीब 1200 मास्क वितरित कर चुकी हैं। सौम्या बताती हैं कि उन्होंने कंप्यूटर से स्नातक डिग्री ली है। कालेज बंद होने से खाली समय में और कोरोना के संक्रमण से गांव के लोगों को बचाने के लिए मास्क सिलना शुरू कर दिया। छोटी बहन शिप्रा मिश्रा कहतीं है कि बच्चों और महिलाओं को कोरोना संक्रमित होने से बचाने के लिए वह नाप में छोटे और आकर्षक डिजाइनों के मास्क भी सिलती हैं, उनका सहयोग घर की अन्य महिलाएं भी करती हैं। चाचा से मिली प्रेरणा सौम्या व शिप्रा के बाबा जब खुद संक्रमित हो गए तो इनके चाचा रजनीश मिश्रा ने दोनों बेटियों से चर्चा की कि कोरोना से कैसे बचा जाए। उन्होंने पाया कि गांव में लोग मास्क नहीं लगाते हैं। महिलाएं बिल्कुल मास्क नहीं लगाती थीं। इस पर उन्होंने मास्क बनाने का फैसला किया और सिलाई कर बांटना शुरू कर दिया। अब गांव में लोग मास्क लगाने लगे हैं।