कोरोना के भय से आरक्षण हो रहे निरस्त

जागरण संवाददाता इटावा कोरोना का भय जनपद से दूर दराज के शहरों में रहने वाले आप्रवासि

By JagranEdited By: Publish:Mon, 12 Apr 2021 10:55 PM (IST) Updated:Mon, 12 Apr 2021 10:55 PM (IST)
कोरोना के भय से आरक्षण हो रहे निरस्त
कोरोना के भय से आरक्षण हो रहे निरस्त

जागरण संवाददाता, इटावा : कोरोना का भय जनपद से दूर दराज के शहरों में रहने वाले आप्रवासियों के चेहरे पर साफ तौर पर देखा जा रहा है। हालांकि अभी बड़ी संख्या में कामगारों के लौटने की स्थिति नहीं बनी है। लेकिन किसी न किसी बहाने महाराष्ट्र, पंजाब व गुजरात में रहने वाले आप्रवासी अपने घर वापस लौट रहे हैं। आरक्षण की बुकिग भी अच्छी खासी संख्या में निरस्त होना शुरू हो गई है।

सोमवार को दोपहर में बीकानेर-हावड़ा एक्सप्रेस से करीब 12 यात्री रेलवे स्टेशन पर उतरे। गुजरात के अहमदाबाद से आए भजन सिंह यादव ने बताया कि वे करहल मैनपुरी अपने गांव जा रहे हैं। रेलवे के रिटायर्ड कर्मचारी हैं और अहमदाबाद में ही रहते हैं। वे करहल में एक शादी में आए हैं। उनका कहना है कि कोरोना के हालात गुजरात में बिगड़े हैं, हालांकि अभी उतने खराब नहीं हैं।

जनपद औरैया के घसारा गांव के रहने वाले आनंद कुमार का कहना है कि वे जयपुर में रहकर नौकरी कर रहे हैं। छह माह बाद अपने घर वापस लौटे हैं। कोरोना का भय तो है लेकिन बिल्कुल भी यहां पर रहने का लगातार इरादा नहीं है। कुछ दिन घर पर रहकर पुन: वापस चले जाएंगे। औरैया के रहने के वाले मनोज कुमार बीकानेर से आए हैं, उनका कहना था कि राजस्थान में कोरोना को लेकर सख्ती है। वे गाइड लाइन का पालन कर रहे हैं, परिवार के लोगों से मिलने आए हैं, कुछ दिन रहने के बाद चले जाएंगे।

स्टेशन अधीक्षक पीएम मीणा ने बताया कि अभी कोरोना के कारण आप्रवासियों के बड़ी संख्या में लौटने की स्थिति नहीं है। जो लोग लौट रहे हैं वे या तो शादी अथवा पंचायत चुनाव या फिर गर्मी की छुट्टियों में घर आने की चाहत के कारण लौट रहे हैं।

रिजर्वेशन सुपरवाइजर वीके मीणा ने बतया कि नई टिकटों की अपेक्षा पुरानी टिकटों की निरस्त की कार्रवाई पिछले तीन दिन में बढ़ी है। उन्होंने बताया कि शनिवार को 111 टिकट निरस्त कराए गए थे। जबकि सोमवार को दोपहर 12 बजे तक करीब 19 टिकट 30 यात्रियों के निरस्त हो चुके थे। ये अपने आप में बड़ी संख्या है। टिकट निरस्त कराने वालों की संख्या में बढ़ोतरी हो रही है।

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